क्रिसमस के साथ 25 दिसंबर को मनाया जाता है Tulsi Pujan Diwas, जानिए कैसे हुई इसकी शुरूआत

Gaurav Sharma
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। 25 दिसंबर का दिन पूरी दुनिया में क्रिसमस (Christmas) के त्योहार के रूप में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह ईसाई समुदाय (Christian Community) का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन प्रभु यीशु (Lord Yeshu) का जन्म हुआ था। क्रिसमस की तैयारी ईसाई समुदाय के लोग एक महीने पहले से ही शुरू कर देते है। इसी बीच आज के ही दिन तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) भी काफी ट्रेंड हो रहा है। आइए जानते है आखिर क्रिसमस डे के दिन ही तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) क्यों मनाया जाता है?

ऐसे हुई थी तुलसी पूजन दिवस की शुरूआत

25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस आसाराम बापू (Asaram Bapu) के अनुयायी सेलिब्रेट कर रहे है, साथ ही सोशल मीडिया के जरिए इसे प्रमोट भी कर रहे है। आसाराम के अनुयायियों के लगातार पोस्ट करने से तुलसी पूजन दिवस  (Tulsi Pujan Diwas) 2020 काफी ट्रेंड हो रहा है। वर्ष 2014 में आसाराम बापू ने तुलसी पूजन दिवस  (Tulsi Pujan Diwas)  की शुरुआत की थी। तब से उनके अनुयायियों द्वारा 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) के रूप में मनाया जाने लगा।

तुलसी धरा के लिए है वरदान

आसाराम बाबू ने अपने अनुयायियों से कहा था कि तुलसी केवल एक पौधा ही नहीं है बल्कि धरा के लिए वरदान है। जिसके कारण इसे हिंदू धर्म में पूजनीय और औषधि तुल्य माना जाता है। आगे उन्होंने कहा था कि ‘तुलसी पूजन करने से लोगों को चमत्कारिक लाभ मिलेगा, साथ ही लोगों को तुलसी से होने वाले लाभ की भी जानकारी मिलेगी और देश में भारतीय संस्कृति का प्रसार भी होगा।’

काफी कम लोग जानते है तुलसी पूजन दिवस

25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है, ये सभी जानते है, लेकिन 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) मनाया जाता है, ये बहुत कम लोग ही जानते है। तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है, और घर में सुख, शांति की कामना की जाती है। इस दिन लोग तुलसी के नए पौधे भी लगाते है। क्योंकि हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यधिक शुभ माना गया है।

आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया हैं

सालों से तुलसी के पौधे का उपयोग औषधीय रूप में किया जा रहा है। हिन्दू धर्म में इसे औषधीय मूल्य पौधा कहा गया है। वहीं आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है, क्योंकि यह औषधि के रूप में काम आती है। कहा जाता है कि जिसके घर में तुलसी का पौधा होता है, उसके यहां हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। शास्त्रों में मिलता है कि भगवान श्री हरि भोग को स्वीकार नहीं कर रहे थे, क्योंकि उसमें तुलसी के पत्ते नहीं थे।

आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताया गया है। आइयें जानते है, तुलसी से होने वाले लाभ के बारें में।

  • सर्दी खांसी में कारगर

अगर हल्की सर्दी-खांसी हो जाए, तो मिश्री के साथ, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते को पानी में अच्छी तरह से उबालकर पीने में ये उपयोगी है।

  • अनियमित पीरियड्स में

महिलाओं को पीरियड्स में अनियमितता की शिकायत होने पर तुलसी के बीज का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे पीरियड्स की अनियमित ठीक हो जाती है। जिसके लिए तुलसी के पत्तों का भी नियमित सेवन करना चाहिए।

  • यौन रोगों में लाभदायक

तुलसी के बीज का उपयोग करने से पुरुषों में शारीरिक कमजोरी दूर होती है।

  • दस्त के लिए फायदेमंद

दस्त होने पर तुलसी के पत्तों का सेवन करना फायदा पहुंचाता है। जिसके लिए जीरे और तुलसी के पत्ते को पीस कर दिन में 3-4 बार खाने से दस्त से राहत मिलती है।

  • सांस की दुर्गंध होती है दूर

तुलसी के पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं। इससे सांस की दु्र्गंध को दूर हो जाती है।

  • चोट लगने पर दवा काम

चोट लग जाने पर तुलसी के पत्ते को फिटकरी के साथ मिलाकर चोट वाले स्थान पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है। क्योंकि इसमें एंटी-बैक्टिरियल तत्व पाए जाते है।

  • कैंसर के इलाज में लाभप्रद

शोध में तुलसी के बीज को कैंसर के इलाज में फायदेमंद बताया गया है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्ट‍ि नहीं हुई है।

  • चेहरे की चमक बनाए बरकरार

तुलसी के उपयोग से त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाते है। और चेहरा साफ हो जाता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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