Shani Dev : सनातन धर्म में शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित माना जाता है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है क्योंकि वे व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। बता दें कि इसका प्रभाव व्यक्ति की जन्मकुंडली में उनके स्थान और स्थिति पर निर्भर करता है। वे अच्छे कर्म करने वालों को शुभ फल प्रदान करते हैं तो वहीं, बुरे कर्म करने वालों को दंडित करते हैं। इसीलिए शनि देव को न्याय का प्रतीक और कर्मदाता माना जाता है। उनका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। लोग उनके प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन विधिपूर्वक उनकी आराधना करते हैं ताकि शनि देव की कृपा प्राप्त हो सके और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिल सके। वहीं, शनि महाराज सबसे धीमी गति से गोचर करने वाले ग्रह भी है, जो एक राशि में करीब ढाई साल तक विराजमान रहते हैं। इसके अलावा, आपने यदि ध्यान दिया होगा तो आपको कभी भी किसी के घर के मंदिर में शनि देव की मूर्ति या फोटो लगी नहीं मिलेगी। उनकी पूजा करने के लिए लोगों को मंदिर ही जाना पड़ता है। क्या आपके मन में कभी ये प्रश्न उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि उनकी मूर्ति घर में रखना वर्जित है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इसका रहस्य बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से…
जानें रहस्य
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनि देव को श्राप मिला हुआ था कि उनकी दृष्टि जिस पर भी पड़ेगी, उसका अनिष्ट होगा। बता दें कि शनि देव की दृष्टि बहुत शक्तिशाली और प्रभावी होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां और समस्याएं आ सकती हैं। इस मान्यता के कारण शनि देव की प्रतिमा को घर में रखने से बचा जाता है। इस मान्यता के अनुसार, ऐसे में घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है। हालांकि, शनि देव की पूजा और आराधना के लिए लोग मंदिरों में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न तरह के उपाय करते हैं।
करें ये काम
- शनिवार के दिन व्रत रखें।
- शनि मंत्रों का जाप करें।
- काले तिल, सरसों का तेल और काले वस्त्रों का दान करें।
- जरूरतमंदों और गरीबों की सहायता करें।
- पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसके नीचे दीपक जलाएं।
ना करें ये काम
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोहे की चीजों को नहीं खरीदना या बेचना चाहिए। इससे शनि देव का क्रोध उत्पन्न होता है। साथ ही जीवन में कठिनाइयां और संकट आ सकती है।
- इसके अलावा, शनि देव को सरसों का तेल अर्पित किया जाता है क्योंकि उन्हें यह प्रिय होता है। वहीं, पूजा के दौरान सरसों का तेल भी उपयोग किया जाता है लेकिन इस दिन इस तेल का खरीदना वर्जित माना जाता है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)