Commonwealth Games : कामनवेल्थ गेम्स का इतिहास और इससे जुड़े दिलचस्प किस्से

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खेल, डेस्क रिपोर्ट। ओलंपिक के बाद एथलेटिक्स का सबसे बड़ा इवेंट ‘द कामनवेल्थ गेम्स’ इस बार इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर में होने जा रहा है, जहां 5000 से भी ज्यादा एथलीट 15 अलग-अलग खेलों के 250 से भी ज्यादा इवेंट्स में पदक के लिए दावेदारी पेश करेंगे। इंग्लैंड 1930 में लंदन और 2002 में मैनचेस्टर के बाद तीसरी बार इन खेलों का आयोजन कर रहा है, जबकि सातवीं बार खेलों की मेजबानी यूनाइटेड किंगडम के शहर को मिली है। लंदन, मैनचेस्टर और बर्मिंघम के अलावा कार्डिफ (1958), एडिनबर्ग (1970 और 1986) एवं ग्लासगो (2014) कामनवेल्थ खेलों की मेजबानी कर चुका है।

कामनवेल्थ गेम्स का इतिहास

कामनवेल्थ गेम्स एक अंतरराष्ट्रीय, बहु-खेल आयोजन है जिसमें राष्ट्रमंडल राष्ट्रों (Commonwealth countries) के एथलीट शामिल होते हैं। राष्ट्रमंडल राष्ट्र उन्हें कहां जाता है, जहां ब्रिटेन का शासन था।

ओलंपिक खेलों के आगमन के बाद से राष्ट्रमंडल देशों के बीच एक संयुक्त राष्ट्रमंडल खेल आयोजन की बात की गई थी। ब्रिटिश साम्राज्य के सदस्यों को एक साथ लाने वाली एक खेल प्रतियोगिता पहली बार 1891 में रेवरेंड एस्टली कूपर द्वारा प्रस्तावित की गई। इस दौरान उन्होंने ‘द टाइम्स’ अखबार में एक लेख लिखा था जिसमें “पैन-ब्रिटानिक-पैन-एंग्लिकन प्रतियोगिता और महोत्सव हर चार साल में एक साधन के रूप में” कराने का सुझाव दिया था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य की सद्भावना को बढ़ाना और छवि को सुधारना था।

इसके बाद सन् 1911 में किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक का जश्न मनाने के लिए लंदन में ‘फेस्टिवल ऑफ एम्पायर’ आयोजित किया गया था, जिसके तहत एक इंटर-एम्पायर चैंपियनशिप का आयोजन किया गया। इसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम की टीमों ने प्रतिस्पर्धा की थी।
इस चैंपियनशिप में मुक्केबाजी, कुश्ती, तैराकी और एथलेटिक्स शामिल थे। इस प्रतिस्पर्धा का चैंपियन कनाडा बना जिसे इनाम के रूप में 2 फीट 6 इंच ऊंचे और 340 ऑउंस वजन वाला सिल्वर कप जो लॉर्ड लोंसडेल की तरफ से उपहार में दिया गया।

इसके बाद खेलों के आयोजन के बारे में कोई विचार नहीं किया गया। लेकिन 1928 एम्सर्डम ओलंपिक खेलों के दौरान एम्पायर एथलीटों के बीच मित्रता की शानदार भावना ने एम्पायर खेलों पर पुर्नविचार करने के लिए प्रेरित किया और आखिरकार 1930 में पहले आधिकारिक कामनवेल्थ गेम्स (जिसे ब्रिटिश एम्पायर गेम्स खेल कहा जाता है) कनाडा के हैमिल्टन में आयोजित किए गए। इस इवेंट में कुल 11 देशों के चार 400 एथलीटों ने छह खेलों के 59 स्पर्धाओं में भाग लिया। पहले आयोजन में एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, लॉन बाउल, रोइंग, एक्वेटिक्स (तैराकी और डाइविंग) और कुश्ती शामिल थे।

इसके बाद 1942 और 1946 (द्वितीय विश्व युद्ध के कारण) को छोड़कर, हर चार साल में इन खेलों का आयोजन होता है। हालांकि, इस दौरान इसके नामों में भी कई बार बदलाव आया।

ब्रिटिश एम्पायर गेम्स (1930 – 1950)
ब्रिटिश एम्पायर और कामनवेल्थ गेम्स (1954 – 1966)
ब्रिटिश कामनवेल्थ गेम्स (1970 – 1974)
कामनवेल्थ गेम्स (1978 -)

अभी नौ देशों ने राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की है, जिनमें शामिल है –

ऑस्ट्रेलिया (1938, 1962, 1982, 2006, 2018)
कनाडा (1930, 1954, 1978, 1994)
न्यूजीलैंड (1950, 1974, 1990)
स्कॉटलैंड (1970, 1986, 2014)
इंग्लैंड (1934, 2002)
वेल्स (1958)
जमैका (1966)
मलेशिया (1998)
भारत (2010)

कामनवेल्थ गेम्स के कुछ अनसुने तथ्य

कामनवेल्थ गेम्स में 71 देश भाग ले सकते है।

1930 के बाद से प्रत्येक आयोजन में केवल छह देशों ने भाग लिया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स शामिल हैं।

सबसे कम उम्र में ऑस्ट्रेलिया की तैराक जेनी टरेल ने कामनवेल्थ मेडल अपने नाम किया है। उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में 1974 के क्राइस्टचर्च खेलों में ये कारनामा किया था।

लॉन गेंदबाज डोरोथी रोश ने 61 वर्ष की उम्र में ऑकलैंड में 1990 के खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वह कामनवेल्थ मेडल अपने नाम करने वाली सबसे उम्रदराज खिलाड़ी है।

2002 के मैनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स में सबसे ज्यादा 72 देशों ने हिस्सा लिया था, जबकि 2014 ग्लासगो खेलों में सबसे अधिक संख्या में एथलीट (4,929) मौजूद थे।

1998 के खेलों तक केवल एकल प्रतियोगिता खेल कार्यक्रम में थे। मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में आयोजित 1998 कामनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट, हॉकी, नेटबॉल और रग्बी 7 को भी शामिल किया गया था।


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Manuj Bhardwaj

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