भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। 26 वर्षीय मणिपुर की मीराबाई चानू (Mirabai Chanu), चीन की होउ जिहुई के बाद दूसरे स्थान पर रहीं, उन्होंने कुल 202 KG (स्नैच में 87 और क्लीन एंड जर्क में 115) के साथ रजत पदक जीता। इनके बाद तीसरे स्थान पर इंडोनेशिया की आइशा विंडी कैंटिका ने 194 किग्रा के कुल योग के साथ कांस्य पदक जीता।
नतीजतन मीराबाई ने टोक्यो ओलिम्पिक में भारत के लिए भी पहला पदक जीता और ओलंपिक पदक (Olympic Medal) जीतने वाली देश की दूसरी भारोत्तोलक बन गईं इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में खेल में देश का पहला पदक जीता था। मीराबाई ने भारतीय भारोत्तोलन में लगभग 20 साल लंबे सूखे को समाप्त कर दिया।
मीराबाई चानू (भारतीय भारोत्तोलक)
मीराबाई चानू ने शनिवार को कहा कि – यह एक सपने के सच होने जैसा है और उनकी जीत के लिए प्रार्थना करने के लिए पूरे देश को धन्यवाद ।
मीराबाई चानू की मेहनत
कंधे और पीठ की चोटों से जूझने के बाद, चानू 2019 में प्रसिद्ध स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच डॉ. आरोन हॉर्शिग के पास एक लंबे पुनर्वास-सह-प्रशिक्षण शिविर के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गई। ओलिम्पिक से ठीक पहले, वह फिर से डॉ. होर्शिग की अकादमी में दो सप्ताह बिताने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चली गई थी क्योंकि फिर से चोटों से परेशान थीं।
मीराबाई का भारोत्तोलन में प्रवेश
भारतीय रेलवे मे कार्यरत मीराबाई का भारोत्तोलन में आना अचानक ही हुआ । चानू 12 साल की उम्र में वह इंफाल के खुमान लंपक स्टेडियम में तीरंदाजी में अपना नाम दर्ज कराने गई थीं चूंकि तीरंदाजी केंद्र बंद कर दिया गया तो मीराबाई ने इसके बारे में पूछताछ करने के लिए पास के भारोत्तोलन क्षेत्र में कदम रखा। बस फिर क्या था, जीवन भर के लिए इस खेल से जुडने का फैसला किया क्योंकि भार और भारोत्तोलन उपकरण ने उसका ध्यान आकर्षित किया। चानू ने पहाड़ियों के ऊपर लकड़ी लाद कर अपनी ताकत का निर्माण किया था, इसलिए भारोत्तोलन मीराबाई को आसानी से भाय गया।
सफलता की सीढ़िया
2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीता। 2017 में अमेरिका के अनाहेम में आयोजित विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2018 में गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में खेल रिकॉर्ड को तोड़ स्वर्ण पदक जीता। 2020 में ताशकंद एशियाई चैंपियनशिप (49 किग्रा) में कांस्य पदक जीता। 2021 मे भारत के लिए टोक्यो ओलिम्पिक मे रजत पदक जीता ।