मुकाबला हारने पर रिंग में ही रोने लगा मासूम बॉक्सर, मां ने दुलार कर कराया चुप

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर नगर निगम द्वारा आयोजित की जा रही बॉक्सिंग प्रतियोगिता (boxing competition) में अलग अलग वर्ग के मुकाबले खेले जा रहे हैं, मुकाबले कड़े और रोचक हो रहे हैं लेकिन आज प्रतियोगिता के तीसरे दिन खेला गया एक मुकाबला दूसरे मुकाबलों से अलग रहा। मुकाबला दो मासूमों के बीच था, लेकिन जैसे ही मैच ख़त्म हुआ और रैफरी ने विजेता बॉक्सर का हाथ ऊंचा किया हारने वाला मासूम बॉक्सर (innocent boxer) रोने लगा।

मुकाबला हारने पर रिंग में ही रोने लगा मासूम बॉक्सर, मां ने दुलार कर कराया चुप

ग्वालियर नगर निगम एवं डिस्ट्रिक्ट एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में सिटीसेंटर स्थित एकलव्य खेल परिसर में बॉक्सिंग प्रतियोगिता खेली जा रही है।  5 दिसंबर से खेली जा रही  इस प्रतियोगिता में अलग अलग जिलों से बॉक्सर आये हैं, इनके बीच अलग अलग वर्ग के मुकाबले खेले जा रहे हैं।

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प्रतियोगिता के तीसरे दिन आज मंगलवार 7 दिसंबर को जूनियर वर्ग में cub class के मुकाबले हुए।  इसमें जयंत और दीपेंद्र सिंह के बीच  खेला गया, ये मुकाबला दूसरे मुकाबलों से अलग था। 18 किलोग्राम के इस मुकाबले में दोनों खिलाड़ियों की उम्र सात साल के आसपास थी।  नन्हें बॉक्सर्स को रिंग में देखकर लोग उत्साहित थे।

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मुकाबला शुरू हुआ दोनों ने एक दूसरे पर पंच मारने शुरू किये लेकिन दीपेंद्र ने ये मुकाबला 3 – 0 से जीत लिया।  मुकाबला खत्म होने के बाद रैफरी ने जैसे ही विजेता दीपेंद्र का हाथ ऊंचा किया जयंत के आंसू निकल आये, वो रिंग में ही आंसू पोंछने लगा। रिंग से नीचे उतरते ही वो मां को देखकर जोर जोर से रोने लगा, पास में ही विजेता बॉक्सर दीपेंद्र सहमा सा खड़ा ये देखता रहा। बाद में मां ने दुलार कर अपने लाड़ले को चुप कराया। अब रोते हुए नन्हें बॉक्सर के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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