इन कर्मचारियों का जल्द बढ़ेगा स्टेशनरी भत्ता, खाते में आएगी इतनी राशि, परिषद ने शासन को भेजा प्रस्ताव

नए साल में यूपी के राजस्व निरीक्षकों को 750 रुपये स्टेशनरी भत्ता देने की तैयारी है, इसके लिए राजस्व परिषद ने योगी आदित्यनाथ सरकार को प्रस्ताव भेजा है और अब मंजूरी का इंतजार है।

Pooja Khodani
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UP Stationery Allowance Hike 2025 :उत्तर प्रदेश के राजस्व निरीक्षकों के लिए खुशखबरी है। जल्द ही स्टेशनरी भत्ते में बड़ी वृद्धि होने वाली है। खबर है कि राजस्व परिषद ने इस संबंध में एक प्रस्ताव योगी आदित्यनाथ सरकार को भेजा है, जिसमें भत्ता 750 रुपये करने का जिक्र किया गया है।

दरअसल, यूपी के राजस्व निरीक्षकों को 750 रु स्टेशनरी भत्ता देने की तैयारी है। अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त द्वारा यूपी शासन को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि राजस्व निरीक्षकों ने स्टेशनरी भत्ता 1000 रु और मोटरसाइकिल भत्ता 2000 रु देने की मांग की गई है। मोटर साइकिल भत्ता बढ़ाकर 2000 रु करने संबंधी प्रस्ताव शासन को पहले ही भेजा जा चुका है। अब स्टेशनरी भत्ता बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव भेजा गया है। उनकी मांग है कि 1000 रु हर माह भत्ता दिया जाए, लेकिन 750 रु देने का औचित्य पाया गया है।

होली से पहले राज्य कर्मियों का भी बढ़ेगा DA

  • यूपी के लाखों कर्मचारियों पेंशनरों का जल्द महंगाई भत्ता भी बढ़ने वाला है। खबर है कि होली से पहले योगी आदित्यनाथ सरकार जनवरी 2025 से डीए में 3% की वृद्धि कर सकती है, जिसके बाद डीए 53% से बढ़कर 56% हो जाएगा।
  • इसके अलावा जिन कर्मचारियों का इंक्रीमेंट जुलाई में नहीं होता, उनको जनवरी में मिलेगा। इस तरह से 2 लाख कर्मचारियों को 6% और बचे हुए सभी कर्मचारियों को 3% वेतन बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा।कार्मिक और वित्त विभाग में इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

चालक-परिचालकों और PRD जवानों का बढ़ा मानदेय-भत्ता

गौरतलब है कि नए साल 2025 में राज्य सरकार द्वारा यूपी के अलग अलग वर्ग के कर्मचारियों को सौगातें देने का सिलसिला जारी है। हाल ही में योगी आदित्यनाथ सरकार ने परिवहन निगम के संविदा चालकों और परिचालकों के मानदेय में 7 से 9 प्रतिशत और पीआरडी जवानों के दैनिक भत्ते में 26 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इससे हजारों कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और अब राजस्व निरीक्षकों का भत्ता बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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