उत्तराखंड सरकार ने गवाहों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा और जरूरी फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड साक्षी संरक्षण योजना 2025 को मंजूरी दे दी गई है। यह योजना अदालत में गवाही देने वाले गवाहों को सुरक्षा देने के मकसद से बनाई गई है, ताकि वे बिना किसी डर के न्याय के लिए आगे आ सकें। इससे न्याय प्रणाली को निष्पक्ष, मजबूत और भरोसेमंद बनाने में मदद मिलेगी।
पुरानी योजना खत्म, नई योजना का आगाज़
इससे पहले राज्य में उत्तराखंड साक्षी संरक्षण अधिनियम 2020 लागू था। लेकिन 1 जुलाई 2023 से देशभर में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 लागू हो गई है, जिसने CRPC की जगह ली है। BNSS की धारा 398 में गवाहों की सुरक्षा के लिए हर राज्य को साक्षी संरक्षण योजना लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस नए कानून के अनुसार अब पुरानी योजना को रद्द कर दिया गया है और उसकी जगह साक्षी संरक्षण योजना 2025 लाई गई है। यह योजना अब राज्य में गवाहों की सुरक्षा को नए और मजबूत तरीके से सुनिश्चित करेगी।
योजना में क्या-क्या प्रावधान हैं?
इस योजना के तहत गवाहों को कई स्तरों पर सुरक्षा दी जाएगी। इनमें शामिल हैं:
- पहचान की गोपनीयता – गवाह की पहचान को पूरी तरह से छिपा कर रखा जाएगा।
- स्थान परिवर्तन – जरूरत पड़ने पर गवाह को किसी और जगह पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
- संपर्क विवरण में बदलाव – गवाह के फोन नंबर, पता आदि को भी सुरक्षा कारणों से बदला जा सकता है।
- भौतिक सुरक्षा – गवाह की जान को खतरा हो तो सुरक्षा गार्ड या अन्य उपायों से उसकी रक्षा की जाएगी।
- वित्तीय सहायता – ज़रूरत होने पर गवाह को आर्थिक मदद भी दी जाएगी, ताकि वे सुरक्षित स्थान पर रह सकें।
- इन सभी फैसलों को गोपनीय रखा जाएगा ताकि गवाहों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो।
साक्षी संरक्षण समिति की भूमिका
इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए राज्य साक्षी संरक्षण समिति का गठन किया गया है। इस समिति में न्यायपालिका, पुलिस और ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है। इनका काम होगा:
- गवाहों की स्थिति का आकलन करना
- किस गवाह को कितनी सुरक्षा की ज़रूरत है, यह तय करना





