नाक का अंतिम संस्कार : इस महिला ने किया अपनी ही ‘नाक’ का फ्यूनरल, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

Nose

Sophie’s nose funeral : ‘नाक’ बड़ी चीज़ है। हमारे यहां और कई अन्य स्थानों पर भी नाक को सम्मान से जोड़कर देखा जाता है। यही वजह है कि ‘नाक ऊंची रखना’ नाक पर मक्खी न बैठने देना’ ‘नाक बचाना जैसे मुहावरे और कहावतें प्रचलित हुए हैं। लेकिन क्या कभी आपने किसी को जानबूझकर अपनी ही ‘नाक कटाते’ या ‘नाक का अंतिम संस्कार’ कराते देखा है।

नाक का अंतिम संस्कार

ये सवाल अटपटा लग सकता है, लेकिन ऐसी ही एक घटना हुई है ब्रिटेन से। यहां सोफी नाम की महिला ने इस अजीबोगरीब कारनामे को अंजाम दिया है। दरअसल सोफी अपनी नाक के आकार प्रकार से संतुष्ट नहीं थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अपनी नाक से नाखुश रहने के बाद आखिरकार सोफी ने तय किया कि वो प्लास्टिक सर्जरी से उसे ठीक करवाएगी। आपको बता दें कि नाक की प्लास्टिक सर्जरी को रीनोप्लास्टी (rhinoplasty) कहते हैं। इसमें नाक का शेप ठीक किया जाता है। सोफी अपनी नाक की सर्जरी के लिए तुर्की जाने वाली हैं, क्योंकि यहां ये सर्जरी कम कीमत में होती है।

काले कपड़े पहनकर शामिल हुए दोस्त

लेकिन इससे पहले सोफी ने अपनी नाक को कुछ अलग तरीके से अलविदा करने का सोचा। क्योंकि सर्जरी के बाद नाक का लुक बदल जाएगा, इसलिए उसने तय किया कि वो अपनी नाक के पुराने आकार प्रकार को फाइनली बदलने से पहले उसका अंतिम संस्कार कराएगी। उसने बाकायदा ये आयोजन रखा और इसमें उसके सारे दोस्त काले रंग के कपड़े पहनकर शामिल हुए। यहां एक केक भी काटा गया जिसमें RIP Sophie Nose लिखा था और तारीख भी डली हुई थी। इस दौरान कुछ लोग बड़ी साइज की नाक वाले मास्क पहने हुए भी दिखाई दिए। इन्होने सोफी को इस सर्जरी के लिए शुभकामनाएं दी और उम्मीद की कि सोफी अपनी नई नाक के साथ खुश रहेगी। अब इस अनोख आयोजन की तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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