60 साल पहले ऐसे होती थी केक पर आईसिंग, देखिये रेयर वीडियो

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। केक..नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाता है। ये आजकल सबसे फेवरेट डेज़र्ट के रूप में जाना जाता है। बर्थडे हो या कोई अन्य खास अवसर, केक के बिना कभी पूरा नहीं होता। आज बाजार में सैकड़ों तरह के केक मौजूद हैं। अलग अलग डिजाइन, फ्लेवर, रंग, रूप के स्वादिष्ट केक। घरों पर भी केक बनाए जाते हैं और इसकी भी सबकी अलग अलह रेसिपी है। लेकिन केक को कलरफुल और सुंदर बनाती है उसकी आईसिंग। ये भी एक आर्ट है और केक के स्वाद और रूप के बढ़ाने में आईसिंग का सबसे बड़ा रोल होता है।

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अगर हम केक की उत्पत्ति की बात करें तो माना जाता है कि प्राचीन रोम में इसका इजाद हुआ। वहां कभी कभी रोटी के  आटे में मक्खन, अंडे और शहद मिला दिए जाते थे। इससे केक जैसी मीठी, सिंकी हुई रोटी बनाई जाती थी। लैटिन कवि ओविड ने अपनी पुस्तक ट्रिस्टिया में अपने और अपने भाई के जन्मदिन में पार्टी और केक का हवाला दिया है। शुरुआत में इंग्लैड में भी केक का रूप एक रोटी की तरह ही था, बस उसे बनाने की प्रक्रिया अलग थी। धीरे धीरे इसके रूप, बनाने के तरीके और स्वाद में बदलाव आना शुरू हुआ और आज हमारे सामने केक की जाने कितनी वैरायटी मौजूद है।

आज हमारे लिए जो सहजता से उपलब्ध है और वो ही सालों पहले काफी कठिन था। आज दुनियाभर में केक बनाने की तमाम प्रतियोगिताएं होती हैं। यहां बड़े बड़े साइज के केक बनाए जाते हैं। लेकिन आज से 50-60 साल पहले जब ऐसे बड़े केक की डिमांड होती थी तो इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती थी। हम आपके लिए ऐसा ही एक रेयर वीडियो लेकर आए हैं जिसमें 1959 में एक बड़े केक को सजाने की मेहनत को दर्शाया गया है। ये 5 गुणा 3 फीट बड़ा केक है और इसपर आईसिंग करने के लिए बेकर को बाकायदा लेटकर काम करना पड़ रहा है। ये बहुत ही खास वीडियो है जिसे देखकर हमें पता चलता है कि आज जो चीज इतनी आसान है..उसे यहां तक पहुंचने में कितना लंबा सफर तय करना पड़ा है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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