Video : खरगोश ने दी बड़ी सीख, यूं ही चलने से नहीं मिलती मंजिल

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कभी कभी छोटी सी बात, घटना या दृश्य हमें बड़ी सीख दे जाते हैं। नैतिक कहानियों या जातक कहानियों में भी छोटे छोटे उदाहरणों के माध्यम से ही बड़ी बात बताई जाती है। आज हम एक तेज रफ्तार जिंदगी जी रहे हैं और ऐसे में इन छोटी बातों पर गौर करने का समय भी नहीं मिल पाता है। लेकिन अगर हम थोड़ा सा ठहरकर देखें तो कई बार इनमें ही बड़ी समस्याओं का हल मिल जाता है।

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आज हम आपके लिए जो वीडियो लाए हैं वो पहली नजर में सामान्य लगेगा। इसमें एक खरगोश है जो एक गोल घेरे के आसपास घूम रहा है। वो लगातार इस सर्किल के चक्कर काट रहा है। यूं देखने पर इसमें कुछ भी खास नहीं। बल्कि शायद पहली नजर में ये फनी लगे क्योंकि खरगोश बिना किसी कारण बस गोल गोल चक्कर काटे जा रहा है।

लेकिन यही इसकी विशेष बात है। खरगोश बिना अपने ध्येय को समझे, बिना को लक्ष्य निर्धारित किए जो सामने दिख गया उसके चक्कर काट रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे वो किसी का पीछा कर रहा है, लेकिन ये भी तय नहीं कि पीछा किसका किया जा रहा है। ऐसे में उसकी इतनी मेहनत और ऊर्जा बेवजह ज़ाया हो रही है। खरगोश अपनी तेज गति से दौड़ने के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां जब उसकी मंजिल ही तय नहीं तो ये दौड़ना भी उसे कहीं नहीं पहुंचाएगा। ये एक दृश्य है जो हमें सीख देता है कि आज के भागमभाग वाले जीवन में हम भी बस दौड़े चले जा रहे हैं। कई बार हमें पता भी नहीं होता कि हम चाहते क्या हैं, लेकिन बस दूसरों की देखादेखी इस अंतहीन दौड़ में शामिल हो जाते हैं। हम इस खरगोश को देखकर ये गलती नहीं करने की सीख ले सकते हैं। भले ही रास्ता कितना भी लुभावना क्यों न हो, लेकिन वो कहीं नहीं पहुंचाता तो हम यूं ही निरुद्देश्य भटकते रह जाएंगे। भटकाव से बचने के लिए कभी कभी हमें बातों को दृश्यों को इस तरह भी डिकोड करना चाहिए।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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