जब 6 साल की बच्ची ने बचाई अपने पिता की जान

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। हाल ही में एक चौकाने वाली घटना सामने आई। दरअसल, एक 6 साल की मासूम बच्ची ने अपनी सूझ-बुझ से अपने पिता की जान बचाई, बच्ची का तरीका कुछ ऐसा था जिसका ख्याल शायद बड़ों के दिमाग में आसानी से ना आए। उसके इस समझदारी ने कई लोगों को हैरान किया तो कुछ का दिल छू गया। बच्ची का नाम Macie बताया जा रहा है, उसके पिता ने कुछ दिन पहले ही घटना की जानकारी फेसबुक पर दी।

यह भी पढ़े…  TVS ने लॉन्च किया NTorq 125 XT, मिलेगी क्रिकेट और मौसम की जानकारी, इतनी होगी स्कूटर की कीमत 

हुआ कुछ यूं की बीते दिनों उनके घर पर एक चल रही समस्या के कारण एक घटना हुई जिससे Macie के पिता को साइनस और फेफड़ों को प्रभावित किया था। तब 6 साल की बच्ची ने अपने पिता के फोन को नेविगेट करके और मदद के लिए कॉल किया और उसने अपने पिता की जान बचाई। फ़ेसबुक पर Macie के पिता ने यह भी कहा की “पलक झपकते ही आप नहीं जानते कि आपका जीवन कितना बदल सकता है। अपने बच्चों को आपातकालीन परिदृश्य सिखाएं, उन्हें जीवन की ऐसी घटनाएं सिखाएं जिन्हें स्कूल कवर नहीं कर सकता, स्ट्रीट स्मार्ट और सतर्क रहना। जीवन छोटा है, लेकिन मेरी बेटी मैसी की वजह से मेरी उम्र लंबी हो गई है। सभी को ढेर सारा प्यार।” इस पोस्ट को देख कर लोगों ने भी कमेन्ट में ढेर सर प्यार लुटाया। 


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है। अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"