नई दिल्ली।
लोकसभा चुनाव 2019 में मिली प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम को भाजपा कार्यकर्ताओं की मदद से देशभर में बूथ स्तर तक मोदी के इस संबोधन का सीधा प्रसारण कराया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने जल संकट से लेकर आपातकाल सहित योग दिवस जैसे विषयों पर अपने विचार रखे। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने द्वारका के ककरोला स्टेडियम में इस कार्यक्रम को सुना।
आपको बता दें कि आज से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 24 फरवरी को मन की बात कार्यक्रम को सम्बोधित किया था। उन्होंने चुनावों में व्यस्तता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था- अगले दो महीने हम सभी चुनाव की गहमागहमी में व्यस्त रहेंगे। मैं स्वयं चुनाव में प्रत्याशी रहूंगा। इसलिए अगली मन की बात मई महीने के अंतिम हफ्ते में होगी। हालांकि मई के अंतिम सप्ताह में होने वाला कार्यक्रम जून के अंतिम हफ्ते में हुआ। लोकसभा चुनाव में जीत के बाद सत्ता में वापसी के बाद भाजपा मोदी के कार्यक्रम को और ज्यादा लोकप्रिय बनाना चाहती है।
मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आम चुनाव, जल संरक्षण, आपातकाल, प्रेमचंद और अपनी केदारनाथ यात्रा का जिक्र किया। देश के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे जल संकट की ओर सबसे अधिक जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे स्वच्छता के लिए देश में आंदोलन छेड़ा गया, ठीक वैसे ही बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए भी देश की जनता आगे आए और जनआंदोलन का आगाज करे।
चुनाव में मन की बात को कर रहा था मिस
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्बोधन की शरुआत करते हुए कहा कि “मेरे प्यारे देशवासियों नमस्कार, लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर मन की बात, जन की बात एक बार फिर शुरू हो रहा है। चुनाव में मन की बात को बहुत मिस कर रहा था। मुझे लगता था कि कुछ छूट गया, आपको भी लगता होगा। मन की बात में बोलता भले मैं हूं, लेकिन भावनाएं आपकी हैं। एक बार मन कर रहा था कि चुनाव समाप्त होते ही मन की बात शुरू कर दूं, पर संडे कीफीलिंग नहीं आती।”
मैं मुझसे मिलने गया था केदारनाथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में चुनाव समाप्त होने के बाद केदारनाथ यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “कई लोगों ने मुझे चुनाव की आपाधापी में केदारनाथ क्यों चला गया, इसे लेकर सवाल पूछे, आपकी जिज्ञासा मैं समझ सकता हूं। एक प्रकार से मैं मुझसे मिलने केदारनाथ चला गया था। केदार की गुफा में एक खालीपन को भरने का मौका मिला।”
आप मुझे पल-पल ताकतवर बनाते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन के दौरान उन्हें प्राप्त होने वाली चिठ्ठियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि “मन की बात के लिए जो चिट्ठियां आती हैं, वो रुटीन सरकारी काम से अलग होती हैं, वो मेरे लिए प्रेरणा का काम करती हैं। मैंने देखा है कि पत्रों में लोग समस्याओं को बताते हैं, साथ ही समाधान भी बताते हैं। अगर कोई स्वच्छता के लिए लिखता है तो गंदगी के प्रति नाराजगी भी जताते हैं। एक प्रकार से समस्याओं का समाधान समाजव्यापी कैसे हो, इसकी झलक मैं महसूस करता हूं। देश में ताकत और टैलेंट की कोई कमी नहीं, जरूरत है उसको क्रियान्वित करने की। मन की बात में इतने पत्र मिलते हैं, लेकिन शिकायत के भाव बहुत कम होते हैं, इसमें किसी ने कुछ मांगा हो, ऐसी बात पांच साल में सामने नहीं आई है। मैं जब इन चीजों का विश्लेषण करता हूं तो मुझे बहुत आनंद मिलता है। आप मुझे पल-पल ताकतवर बनाते हैं।
लोगों ने उड़ाया था मेरा मजाक
अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “जब मैंने कहा था कि अब चार महीने बाद मन की बात में मिलेंगे, तो लोगों ने मजाक उड़ाया था,लेकिन मुझे आप लोगों पर भरोसा था। मैं आया नहीं हूं, आपने ही मुझे लाया है, आपने ही मुझे बिठाया है। देश में आपातकाल लगा था तो जन-जन में आक्रोश था, लोकतंत्र के लिए तड़प थी। आपातकाल में देश के हर नागरिकों को लगा था कि सब कुछ छीन लिया गया है। लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, हमारी विरासत है, उसे लेकर पले-बढ़े हैं। हमारा लोकतंत्र बहुत ही महान है और सदियों की साधना से एक विशाल व्यापक मन की अवस्था से यह हमें हासिल हुआ है। पिछले चुनाव में 61 करोड़ लोगों ने वोट दिया था, अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी अधिक लोग मतदान के लिए लाइन में थे।
चुनाव आयोग को दी बधाई
लोकसभा का चुनाव अब तक का सबसे बड़ा चुनाव था। लाखों अधिकारियों और कर्मचारियों की मेहनत से यह यज्ञ संपन्न हुआ। सुरक्षाबलों ने इसमें परिश्रम की पराकाष्ठा दिखाई।मतदान के लिए दस लाख पोलिंग स्टेशन, 40 लाख ईवीएम इतना बड़ा तामझाम था। यह सब इसलिए था कि कोई मतदान से न चूक जाए। अरुणाचल के एक पोलिंग बूथ पर केवल एक महिला के लिए एक बूथ बनाया गया था। शायद इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि महिलाओं ने पुरुषों की तरह बढ़-चढ़कर मतदान किया है। मैं चुनाव आयोग और इस प्रक्रिया से जुड़े हर आदमी को बधाई देता हूं।
बुके की जगह बुक देने का रिवाज स्थापित हो
मन की बात में मोदी ने बुके की जगह बुक देने का रिवाज स्थापित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “मेरा आग्रह था कि बुके की जगह बुक देने का रिवाज स्थापित हो। मुझे हाल ही में प्रेमचंद्र की किताब मिली थी। उनकी कहानियां सहज होती हैं। केरल में प्राथमिक विद्यालय में लाइब्रेरी के लिए पीके मुरलीधरन ने अथक परिश्रम किया. आज यह लाइब्रेरी सभी को राह दिखा रही है।
स्वच्छता अभियान की तरह पानी के लिए अभियान चलाना होगा
जल संकट को केंद्रित रखकर भी प्रधनमंत्री मोदी ने मन की बात की। उन्होंने कहा कि “जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया है। मैंने देश भर के सरपंचों-ग्राम प्रधानों को पत्र लिखकर कहा, बारिश का पानी बचाने के लिए ग्राम सभा की बैठक कर वे विचार विमर्श करें। मुझे खुशी है कि इस महीने की 22 तारीख को कई सरपंचों ने इस तरह की बैठक की। मेरी तरफ से सभी ग्राम प्रधानों और सरपंचों को इस मुहिम में शामिल होने के लिए ढेरों शुभकामनाएं। पूरे देश में जलसंकट से निपटने का कोई एक फॉर्मूला नहीं हो सकता, अलग-अलग प्रयास करके इसे दुरुस्त किया जा सकता है। राजस्थान के कबीरधाम में खेतों में बनाए गए तालाब से पानी के संकट से निपटने का प्रयास हो रहा है। जब हम एकजुट होकर मजबूती से प्रयास करते हैं तो वह सफल होता है। जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को आंदोलन का रूप दे दिया, उसी तरह जल संकट से निपटने के लिए भी आंदोलन शुरू किया जाए।
योग दिवस को लेकर कही ये बात
मन की बात के अंतिम सम्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने योग दिवस को लेकर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 जून को योग दिवस को एक बार फिर देशवासियों ने योग को लेकर तत्परता दिखाई। शायद ही कोई जगह होगी, जहां इंसान हो और याेग न हुआ हो। दुनिया के कई देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों ने मुझे बताया कि ट्विटर पर कैसे लोगों ने इसे एक आंदोलन की तरह खड़ा कर दिया। जापान योग निकेतन ने योग को पूरे जापान में लोकप्रिय बनाया हे. इटली की मिस एंटीना रोजी ने पूरे यूरोप में योग का प्रचार-प्रसार किया। बिहार योग विद्यालय मुंगेर को भी सम्मानित किया गया।
उन्होंने अंत में कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, यह यात्रा आज आरंभ हो रही है। मैं आपके सुझावों और विचारों की प्रतीक्षा करता रहूंगा। आइए हम मिलते रहें, बातें करते रहें, आपके भावों को सुनता रहूं, संजोता रहूं। आप ही मेरी प्रेरणा है। फिर एक बार अगले महीने मन की बात में फिर से मिलेंगे, नमस्कार।