विश्व रेडियो दिवस- जाने मध्यप्रदेश में कब हुई थी रेडियो की शुरुआत

भोपाल , डेस्क रिपोर्ट । हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। रेडियो जनसंचार का वह माध्यम है जिसने लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का काम किया। कह सकते हैं कि रेडियो जनसंचार का सबसे पुराने माध्यमों में से एक है । रेडियो का प्रचलन उस समय शुरू हुआ जब टेलीविजन और इंटरनेट दुनिया में नहीं फैला था। हर साल विश्व रेडियो दिवस, रेडियो के विशेष शक्ति को याद करने के लिए मनाया जाता है । रेडियो ने विश्व के लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का काम किया और विश्व के हर स्तर पर काम भी आया। भले ही रेडियो बहुत पुराना है, लेकिन सोशल इंटरेक्शन के लिए एक बहुत बड़ा स्त्रोत्र भी माना जाता है। यह भुलाना बहुत मुश्किल है कि डिजास्टर रिलीफ और इमरजेंसी में रेडियो ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। विश्व युद्ध हो या फिर भारत की आजादी या फिर बंटवारे की खबर रेडियो ने हर एक जानकारी को और खबर को लोगों तक पहुंचाने का काम किया।

क्या है इस बार का थीम ?


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Manisha Kumari Pandey

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पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है। अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"