मांझी बनी छतरपुर की महिलाएं, पहाड़ को काटकर बनाया रास्ता

Gaurav Sharma
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पहाड़ को काटकर बनाया रास्ता

छतरपुर ,संजय अवस्थी। कहते है यदि मन में तम्मना हो तो पहाड़ को काटकर भी पानी निकाला जा सकता है ,कुछ ऐसा ही कर दिखाया है ,छतरपुर  जिले के बड़ामलहरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत भेल्दा के ग्रामीणों ने । एक छोटे से गांव अंगरोठा में महिलाओं ने ऐसा कार्य किया है जो आज सभी के लिए मिसाल बन चुका है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।