राज्य आजीविका मिशन में कांग्रेस ने लगाए करोड़ो रुपए के घोटाले के आरोप

Pooja Khodani
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पूर्व मंत्री

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट

राज्य आजीविका मिशन (State livelihood mission) में बिना लाइसेंस के गरीबों का बीमा ​कर करोड़ों रुपए के घोटाले (Scam) का मामला प्रकाश में आया है। उक्त मामले में कांग्रेस (Congress) ने कई आरोप लगाते हुए सरकार से न्यायिक जांच कराकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

आरोप है कि आजीविका मिशन के सीईओ एलएन बेलवाल (LN Belwal) ने आजीविका मिशन के मुख्य काम को छोड़कर सीबीएम आईआई नाम की एक बीमा योजना बना ली। जिसके तहत गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और स्व सहायता समूह की गरीब महिलाओं का बीमा किया गए और बीमा के नाम पर गरीबों से एक करोड़ 73 लाख रुपये एकत्रित किए गए लेकिन सिर्फ 179 लोगों को ही दावा राशि दी गई। बताया जा रहा ​कि मध्यप्रदेश में आजीविका मिशन के तरह एक बीमा कंपनी बना ली गई। जबकि बीमा कंपनी बनाने के लिए आईआरडीए की अनुमतियां लगती हैं नियमानुसार लाइसेंस मिलता है।

कांग्रेस ने उठाए कई सवाल
सबूतों और दस्तावेजों के साथ कांग्रेस ने कई सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि क्या कोई भी व्यक्ति योजना बनाकर बीमा का कार्य शुरू कर सकता है? क्या जाली कंपनी बनाकर इस काम को अमल में लाया जा सकता है या इसके लिए बीमा रेगुलेटरी अथॉरिटी की अनुमति एवं लाइसेंस जरूरी है? गुप्ता ने यह भी कहा कि सरकार यह स्पष्ट करें कि एलएम बेलवाल को बीमा कंपनी शुरू करने की अनुमति क्या मध्यप्रदेश सरकार ने दी या फिर वह केंद्र सरकार से इसकी अनुमति लेकर आए थे? या फिर अनुमति इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉर्टी ने दी है? अगर नहीं तो यह चिटफंड कंपनी जैसा फर्जीबाड़ा है। इसमें जिन बीमाधारियों का पैसा लगाया गया है। वह पैसा ब्याज सहित वापस लौटाया जाना चाहिए अगर बिना अनुमतियों के कार्य शुरू हुआ है तो शासकीय अधिकारी द्वारा अवैधानिक काम करने के लिए आरसौबीसी का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। क्या इस तरह का बीमा करने के लिए मध्यप्रदेश की कैबिनेट ने कोई फैसला लिया है या अनुमति जारी की है। यह सारी बातें स्पष्ट होना चाहिए। लगभग एक लाख लोगों से यह पैसा लिया गया और 200 लोगों को भी दावों की राशि नहीं मिली। इधर, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के पास अब झूठ बोलने के अलावा कोई काम नहीं बचा है।

दर्शाई संविदा नियुक्ति
भूपेन्द्र गुप्ता का आरोप है कि घोटाले का प्रमाण है कि एलएम बेलबाल की रिटायर होने के बाद फिर से संविदा नियुक्ति दर्शाती है, जो पद आईएएस अधिकारी के लिए बनाया गया है उस पर आईएएस संवर्ग के किसी व्यक्ति की नियुक्ति न करके एक रिटायर्ड अधिकारी को संविदा पर रखने का क्या मतलब है? क्या बेलबाल पिछले कई वर्षों से भाजपा के लिए आशा कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी के माध्यम से वोट मैनेज करने का काम करते रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी के समस्त कार्यकलापों को किसी न्यायाधीश से जांच करवाई जाए एवं अगर बिना अनुमतियों के यह काम किया गया है तो बेलवाल पर चारसौबीसी एवं धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज हो।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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