भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में किसानों (MP Farmers) के लिए आय के नए स्रोत (income source) खुलेंगे। किसानों को गेहूं और धान जैसी फसलों की बजाए उद्यानिकी और औषधीय फसलों की खेती करेंगे। फसलों की खेती के लिए कंपनी द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू किया जा रहा है। किसानों को ऐसे फसलों की खेती के लिए तैयार किया जा रहा है, जिसकी कीमत बेहतर है। इस योजना में 12 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। जबकि दो को अनुमति दी जा चुकी है। कृषि विविधीकरण योजना (Agricultural Diversification Scheme) के तहत राज्य के 6.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस तरह की खेती करवाया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।
राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 20 लाख रूपए का बजट रखा है। किसानों को लाभकारी खेती की ओर उन्मुख करने के लिए फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। कृषि विभाग द्वारा 10 अन्य कंपनी के प्रस्ताव का परीक्षण किया जा रहा है। प्रदेश में अधिकांश किसान गेहूं धान जैसे परंपरागत फसलों की खेती कर रहे हैं। अब उन्हें विविधीकरण से जोड़ा जाएगा और उनकी सीमित आय को बढ़ाने की तैयारी की जाएगी।
दरअसल उद्यानिकी और औषधीय फसलों की खेती के लाभ अधिक है। साथ ही इसके आय के स्रोत में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है। हालांकि उद्यानिकी और औषधीय फसलों की खेती के लिए बाजार मिलने और भंडारण की व्यवस्था पर लगातार संशय बरकरार रहता था। जिसके लिए अब सरकार ने कृषि विविधीकरण योजना तैयार की है।
मामले ने कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी का कहना है कि प्रस्ताव देने वाली कंपनी पहले से उद्यानिकी और औषधीय फसलों के क्षेत्र में काम कर रही है। गुणवत्ता युक्त उत्पाद की आवश्यकता होगी। जिसके लिए कंपनी प्रदेश के किसानों को प्रशिक्षण और प्रोत्साहित करेगी। इस योजना के तहत किसान और कंपनी के बीच आपसी सहमति से खेती करवाई जाएगी, उत्पादों को कंपनी द्वारा खरीदा जाएगा। उसके भंडारण परिवहन की व्यवस्था भी कंपनी द्वारा की जाएगी। उपज की दर किसान और कंपनी दोनों मिलकर तय करेंगे। किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ बीज खाद आदि कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।
हालांकि खेती का अन्य काम किसानों को सौंपा जाएगा। गुणवत्ता की गारंटी किसानों के पास रहेगी। किसानों को फसल खराब होने से बचाने के लिए फसलों का बीमा करवाना होगा। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार किसानों को राहत भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा इन योजनाओं के प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों को अनुदान और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जाएंगे।