जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन करना पड़ा महंगा, 46 सीनियर रेजिडेंट टर्मिनेट

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  हाईकोर्ट की 24 घंटे की मोहलत के बावजूद जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) ने अपनी हड़ताल वापस नहीं ली है बल्कि IMA और MTA का समर्थन मिलने से जूनियर डॉक्टर्स लम्बी लड़ाई के मूड में दिखाई दे रहे हैं।  उधर जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन करना और उनके साथ हड़ताल पर चले जाना सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स  (Senior Resident Doctors) को भारी पड़ गया।  शासन के निर्देश पर ग्वालियर के 46 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को टर्मिनेट कर दिया गया है।

जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल अभी जारी है लेकिन ग्वालियर में इनकी हड़ताल को समर्थन देना जीआर मेडिकल कॉलेज (GR Medical College) के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को भारी पड़ गया। राज्य सरकार के निर्देश पर ग्वालियर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने 46 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को टर्मिनेट कर दिया है।  मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ समीर गुप्ता ने मीडिया को बताया कि सीनियर् रेजिडेंट डॉक्टर्स की अपनी कोई मांग नहीं थी फिर भी वे हड़ताल पर चले गए हमने उन्हें समझाया भी कि समर्थन के और भी कई तरीके हैं लेकिन वे जिद पर अड़े रहे।  इन सभी का टर्मिनेशन आर्डर तैयार हो गया है जल्दी ही नए सीनियर रेजिडेंट भर्ती किये जायेंगे।

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उधर स्टाइपेंड बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मांग के साथ छह सूत्रीय मांगों को लेकर 31 मई से हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर्स अभी भी हड़ताल पर ही हैं। हालाँकि मप्र हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स को 24 घंटे में काम पर लौटने का निर्देश दिया था  जिसकी अवधि कल शुक्रवार शाम को पूरी हो गई लेकिन जूनियर डॉक्टर्स ने अपना फैसला नहीं बदला।  हालाँकि कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल वापस लें और सरकार इनसे बात कर इस मामले को तुरंत निपटाए लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश का भी जूनियर डॉक्टर्स पर कोई असर नहीं हुआ।

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आज शनिवार को जूनियर डॉक्टर्स में मेडिकल कॉलेज में मध्य्प्रदेश सरकार का प्रतीकात्मक स्वरुप बनाकर उसके सामने थाली बजे और पुष्पांजलि अर्पित की।  जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ग्वालियर के अध्यक्ष दे देवेंद्र शर्मा का कहना है कि आज तक शासन के किसी व्यक्ति ने हमसे बात नहीं की, हम तो उनका वादा ही उनको याद दिला रहे हैं। लेकिन शासन अपनी जिद पद अड़ा है कि पहले हड़ताल वापस लो फिर बात करेंगे जबकि हमारा कहना है कि आपने कौन सी मांगें मानी है पहले वो बता दो। या शासन माफ़ी मांग ले कि हमसे भूल हो गई हम स्टाइपेंड नहीं दे सकते तो हम डॉक्टर्स हर महीने 5000 रुपये सर्कार के कोविड फंड में जमा करते रहेंगे।  लेकिन संवाद तो हो।  उन्होंने कहा कि ये हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक मांगे मान नहीं ली जाती।

जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन करना पड़ा महंगा, 46 सीनियर रेजिडेंट टर्मिनेट

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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