जबलपुर, संदीप कुमार। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना(Prime Minister Housing Scheme) के हितग्राही परेशान हैं। वजह है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की पहली किस्त(installment) मिलते ही वो पक्का घर बनने की उम्मीद में अपना घर तोड़ चुके हैं, लेकिन अब उनके आवास किस्तों में उलझ गए हैं। अधूरे प्रधानमंत्री आवास न बनने से हितग्राहियों की नींद उड़ी हुई है। हितग्राहियों का कहना है कि घरों की दीवारें नहीं उठ पाई, घरों में चारा उगने लगा है, छत नहीं पड़ी ऐसे में घर में कैसे रह पाएंगे। ऐसे कई प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वारा बनने वाले मकान अधूरे पड़े हैं।
12 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गृह प्रवेश कार्यक्रम में जबलपुर के अंदर 2,911 पीएम आवास प्रवेश कराए गए। ये सभी मकान ईसीसीसी सर्वे 2011 के आधार पर उपलब्ध कराए गए। इन मकानों को 23 मार्च 2020 से 11 सितंबर 2020 तक तैयार किया गया था। जबलपुर जिला पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत जबलपुर में 479, पनागर मे 307, कुंडम में 350, मझोली में 525, पाटन में 376, शहपुरा में 469, सिहोरा में 405 मकानों में गृह प्रवेश कराया गया।
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जियो टैग कराए जाने के आधार पर चार किश्तों में इन मकानों को हितग्राही के खाते में डाला गया था। साथ ही स्वच्छ भारत अभियान के तहत टॉयलेट निर्माण के लिए 12 हजार, वहीं 90 दिन में मकान निर्माण के लिए प्रतिदिन 190 रुपए मजदूरी के आधार पर दिए गए, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। अधूरे मकान, जमीन पर घास फूंस के साथ टूटे गेट, बिना दरवाजों के मकान सब कुछ बयां कर रहे हैं। शहपुरा ब्लॉक में 469 पीएम आवासों का ग्रह प्रवेश कराया गया. वहीं इन मकानों में क्या-क्या अव्यवस्थाएं रही हैं। इसको लेकर फिलहाल परियोजना अधिकारी के पास कोई शिकायत नहीं पहुंची है और न ही कोई टीम मौके पर पहुंची। बहरहाल सरकारी आवास योजना के लिए अपने मकान तोड़ने वाले ग्रामीण आज परेशान है।