भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा (MP board exam) को देखते हुए कोरोना (corona) काल से बंद पड़े स्कूलों (school) को खोल दिया गया है। स्कूल खुलते ही जहां विद्यार्थियों की अनुपस्थिति बड़ी मात्रा में देखी जा रही थी। वही धीरे-धीरे अब बच्चे नियमित तौर पर स्कूल पहुंचने लगे हैं। निजी स्कूलों की तुलना में शासकीय स्कूल (government school) में बच्चों की उपस्थिति 20% अधिक रिकॉर्ड की गई है।
दरअसल कोरोना काल की वजह से मध्य प्रदेश में 2 महीने देर से बोर्ड की परीक्षा आयोजित की जा रही है। वहीं दिसंबर महीने की बात करें तो दिसंबर में खुले स्कूलों के मुकाबले जनवरी में बच्चों की संख्या में ज्यादा वृद्धि देखी गई। शासकीय विद्यालय में 10वीं और 12वीं के बच्चों की उपस्थिति में 60% की वृद्धि देखी गई है। जबकि निजी स्कूल में 45% बच्चों की वृद्धि जनवरी माह में देखी गई।
स्कूल खुलने के बाद से निजी स्कूल में महज 10% बच्चे कक्षा में शामिल हो रहे थे। वही ऑनलाइन क्लासेज (online classes) के साथ-साथ शासकीय विद्यालय के बच्चे कक्षा मैं भी शामिल रहे। इधर कोरोना वैक्सीन के आने के बाद और प्रदेश में संक्रमण की रफ्तार कम होते देख अब अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने से नहीं हिचक रहे। एक अभिभावक का कहना है कि अब जब भी बच्चों के स्कूल में शिक्षकों को प्रशासन द्वारा कड़ी देखभाल की जा रही है। ऐसे में बच्चों को पढ़ाई बाधित कर घर में रखने का कोई महत्व नहीं है।
बता दे कि अप्रैल महीने से 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षा है जिसको लेकर शासकीय विद्यालय में लगातार बच्चों के नोट्स तैयार करवाए जा रहे हैं। वहीं ऑनलाइन क्लासेस में पूरे हुए कोर्स का रिवीजन सेशन भी चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए अलग से क्लास संचालित की जा रही है। इसके साथ ही 10वीं और 12वीं परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न पत्र भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
Read More: MP Politics : लक्ष्मण सिंह का BJP को समर्थन!, कांग्रेस में हड़कंप
वही एक विद्यार्थी मुखी यादव का कहना है कि ऑनलाइन क्लास में हमारी प्रश्नों का उचित हल नहीं मिल पाता जबकि कक्षा में शिक्षकों की उपस्थिति में चीजें ज्यादा सही तरीके से स्पष्ट होती है। इसलिए स्कूलों का खुलना जरूरी था। इसके साथ ही 12वीं कक्षा के एक छात्र कुश राय का कहना है कि शिक्षक द्वारा लगातार रिवीजन कराया जा रहा है। वही हमारे प्रश्न को हल भी किया जा रहा है। शिक्षकों द्वारा हमें नोट्स भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि शासकीय स्कूल द्वारा सख्त आदेश दिए गए हैं कि यदि इस बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बच्चों के रिजल्ट में सुधार नहीं हुआ तो इसकी कारवाई शिक्षक और प्राचार्य पर की जाएगी। इसके बाद ऑनलाइन क्लासेस को और सतर्कता से लिया जा रहा है। इसके साथ ही साथ बच्चों को कक्षा में आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।