भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) में मार्च से अब तक हुए हाईवोल्टेज ड्रामे (highvoltage drama) के बाद उपचुनाव (by-election) के लिए मतदान (voting) संपन्न हो गया है। हालांकि मतदान (voting) के बाद और नतीजे आने से पूर्व राजनीतिक पार्टियों (Political parties) के दिग्गजों एक-दूसरे पर विधायक (MLA) खरीद-फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं। पार्टियों के नेताओं का मानना है कि विपक्षी पार्टी के लोग उनके पार्टी के विधायकों से लगातार संपर्क में है और उन्हें साधने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां अपने अपने विधायकों को लेकर सचेत हो गई है।
मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुए 28 सीटों पर उपचुनाव के बाद अब राजनीतिक परिवेश में बड़ा बदलाव देखा गया है। इस बार पार्टियों को जीत हार से ज्यादा अपने-अपने विधायकों को अपने पक्ष में रखे जाने की चिंता सता रही है। पार्टियों लगातार अपने-अपने विधायकों से संपर्क में है और अन्य राजनीतिक दलों का उनसे हस्तक्षेप पर रोक लगाने की कोशिश में है। प्रदेश में हुए बड़े उलटफेर के बाद राजनीतिक पार्टियां मुस्तैदी से अपने विधायकों की निगरानी में लगी हुई है।
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ज्ञात हो कि मार्च महीने में प्रदेश में बड़ा सियासी तूफान देखा गया था। जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) सहित कांग्रेस (congress) के 22 विधायक ने एक साथ कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी (bjp) का हाथ थाम लिया था। इसके बाद प्रदेश में कमलनाथ सरकार सत्ताविहीन हो गई थी। अब ऐसे में एक बार फिर से एग्जिट पोल (exit poll) के बाद विधायकों की निगरानी तंत्र को और अधिक बढ़ा दिया गया है।
BJP ने लगा रखी पूरे देश में विधायकों की मंडी- केके मिश्रा
एग्जिट पोल के दावे के बाद कांग्रेस ने नतीजे से 1 दिन पूर्व भी अपने सभी विधायकों को भोपाल (bhopal) बुला लिया है। कांग्रेस का मानना है कि भोपाल में वह अपने विधायकों को अधिक सुरक्षित रख सकेंगे और विधायकों के टूटने के खतरे को कम किया जा सकेगा। इस मामले में ग्वालियर-चंबल संभाग (Gwalior-Chambal sambag) के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा (K.K.Mishra) का कहना है कि भाजपा ने पूरे देश में ही विधायकों की मंडी लगा रखी है। जिससे लोकतंत्र बदनाम हुआ है और इसी कारण से सभी दलों के विधायकों पर उनके पार्टी नेतृत्व द्वारा निगरानी रखना जरूरी हो गया है कि कहीं वो भी खरीद फरोख्त का हिस्सा ना बन जाए।
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भाजपा के सभी विधायक पूरी तरह स्वतंत्र- दीपक विजयवर्गीय
वहीं दूसरी तरफ पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने कमलनाथ पर आरोप लगाते हुए कहा था कि कमलनाथ बीजेपी के विधायकों को साधने के लिए उन से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए बीजेपी (bjp) ने भी अपने विधायकों की निगरानी को बढ़ा दिया है। वहीं पार्टी के लिए विरोधी स्वर रखने वाले नेताओं पर कड़ी नजर रखी जा रही है। बीते दिनों बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) ने स्पष्ट किया था कि पार्टी के विरोध गतिविधि करने वाले किसी भी नेताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिसके बाद ऐसे कमजोर विधायकों एवं नेताओं पर बीजेपी विशेष नजर रख रही है।
वहीं विधायकों पर निगरानी रखने के मामले में मध्य प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय (Deepak vijyvargiya) का कहना है कि भाजपा के सभी विधायक पूरी तरह स्वतंत्र है और वह अपने-अपने क्षेत्र में हैं। इस उपचुनाव में पहले ही कांग्रेस बौखलाई हुई है और अपने विधायकों को समेटने में लगी है जबकि बीजेपी को ऐसा कोई खतरा नहीं है और इसी की वजह से कमलनाथ उल्टी-सीधी बयानबाजी कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के मतदान के बाद बीजेपी को जहां जीत के लिए 8 सीटों की जरूरत है वहीं कांग्रेस को पूरी की पूरी 28 सीट की जरूरत है। ऐसे में एग्जिट पोल का समीकरण दूसरी तरफ इशारा कर रहा है। माना जा रहा है कि अगर एग्जिट पोल ध्वस्त होता है तो राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे के विधायकों को तोड़ने एवं सांठगांठ करने की कोशिश करेगी। जिसके बाद पार्टियां अपने-अपने पाली के विधायकों को सुरक्षित करने में लगी है।