MP By-election : उपचुनाव में यह रहेंगे बीजेपी और कांग्रेस के प्रमुख मुद्दे

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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश में चुनावी तारीखों के ऐलान (By-election Date Declared In Madhya Pradesh) के साथ ही राजनीतिक दलों (Political Parties) की तैयारियां तेज हो गई है, बैठकों के दौर जारी है। यह चुनाव दोनों राजनीतिक दलों के लिए नाक की लड़ाई साबित होने वाली है। दावा दोनों दलों का 28 सीटें जीतने का है, पर 10 मार्च को आने वाले चुनाव परिणाम (Election Result) तय करेंगे कि शिवराज सरकार परमानेंट (Shivraj Government will Be Permanentl) होगी या अचानक सत्ता गंवाने का दर्द झेल रही कांग्रेस (Congress) की दोबारा सत्ता में वापसी होगी।

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना से साधेंगे किसानों को
किसानों के बड़े वोट बैंक (Farmers Are Big Vote Bank) को साधने के लिए शिवराज सरकार ने चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना (Mukhyamntri Kisaan Kalyaan Yojana) के तहत प्रदेश के किसानों को हर साल 4-4 हज़ार देने की घोषणा कर दी। किसानों को यह राशि केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाले पीएम किसान सम्मान राशि के अलावा होगी। दोनों राजनीतिक दलों को कोरोना वायरस (Corona Virus) से कम वोटिंग का खतरा भी सता रहा है। मध्य प्रदेश के उपचुनाव में बेरोजगारी और रोजगार (Employment And Unemployment) का मुद्दा खूब जोर से छाया रहेगा। संविदा और अतिथि शिक्षकों (Samvida And Guest Faculty) का मुद्दा चुनाव में खूब जोर शोर से उठेगा। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में लंबे समय से पुलिस सहित अन्य विभागों में भर्ती के मुद्दे पर कांग्रेस भाजपा सरकार को घेरने की तैयारी में है। वहीं लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रदेश में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी भी प्रमुख मुद्दा बनेगा।

किसान कर्जमाफी बड़ा मुद्दा
2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी का जो कार्ड खेला था, उसने कांग्रेस के 15 साल के वनवास को खत्म कर एक बार फिर सत्ता तक पहुंचा दिया था। ऐसे में अब उपचुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस पर एक बार सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है, तो उसे अपने 15 महीने के कार्यकाल में 26 लाख से अधिक किसानों की कर्ज माफी की अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताने जा रही है। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा कांग्रेस के कर्ज माफी के दावों को किसानों के साथ सबसे बड़ा छलावा बताकर दावा कर रही है कि कमलनाथ सरकार ने अपने 15 महीने के कार्यकाल में एक भी किसान का कर्जा माफ नहीं किया।

कोरोना को लेकर होने लगे वादे
कोरोना काल में हो रहे उपचुनाव में कोरोनावायरस का मुद्दा भी खूब गूंजेगा। कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों की इलाज और खराब स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जहां विपक्ष सरकार पर हमलावर होगा, वहीं सरकार कोरोनावायरस में स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी में कमी का ठीकरा पिछली सरकार पर फोड़ने के साथ प्रदेश कोरोना से प्रभावित राज्यों में किस तरह निचले क्रम पर है इस पर फोकस करेगी।


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