रैगांव उपचुनाव मतगणना जारी, पहले बीजेपी और अब कांग्रेस आगे..

Updated on -

उपचुनाव : रैगांव सीट पर छठवें राउंड में बड़ा उलटफेर हुआ है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा ने भाजपा की प्रतिमा बागरी को 700 वोटों से पीछे कर दिया है। सतना जिले की रैगांव सीट पर कांग्रेस 31 सालों से जीत नहीं सकी है। यह सीट पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी के निधन के बाद खाली हुई थी। भाजपा ने बागरी परिवार से किसी को टिकट न देकर प्रतिमा बागरी को नए चेहरे के रूप में उतारा था। इस सीट पर सीएम शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा के गढ़ में कांग्रेस की सेंध ने पूरे विंध्य में हलचल पैदा कर दी है। वहीं रैगांव में डाक मत पत्रों की गिनती नहीं होने से कांग्रेस ने आपत्ति जताई है।

REET RESULT 2021: जारी हुआ REET के लेवल–1 और लेवल–2 का परिणाम, ऐसे देखें रिजल्ट।

मध्य प्रदेश की रैगांव विधानसभा सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए बेहद अहम है। 1977 से अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिनमें से पांच बार भाजपा ने और दो बार कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है। इसके अलावा एक बहुजन समाज पार्टी  ने भी जीत दर्ज की है। वहीं दो बार अन्य दलों के प्रत्याशी यहां से जीते हैं। जानकारों ने पहले ही जता दिया था कि इस बार चुनावी अखाड़े में बीजेपी से प्रतिमा बागरी और कांग्रेस से कल्पना वर्मा  के बीच जबरदस्त दंगल देखने को मिलेगा। कल्पना वर्मा पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस से प्रत्याशी थीं, वहीं प्रतिमा बागरी पर बीजेपी पहली बार दांव खेला है।

राज कुंद्रा अब नहीं हैं Instagram और Twitter पर, शिल्पा शेट्टी के पति ने डिलीट किया एकाउंट ?

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित

रैगांव विधानसभा सीट  बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद खाली हुई है। सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में तो कड़ी टक्कर रही ही है। साथ ही इसपर बहुजन समाज पार्टी भी बड़ी चुनौती दे चुकी है। हालांकि इस सीट को बीजेपी की दबदबे वाली सीट माना जाता है। 2018 में भी बीजेपी के जुगल किशोर बागरी ने यहां बड़ी जीत हासिल की थी। हालांकि इससे पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां बसपा ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 2018 के चुनाव में बसपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी। दरअसल रैगांव सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जिस कारण इस पर किसी समय में बसपा का अच्छा प्रभाव देखने को मिलता था, बाद में अनुसूचित जाति का वोटबैंक का झुकाव बीजेपी की तरफ चला गया। इस सीट पर बागरी समुदाय का वोट बैंक सबसे ज्यादा है।  अनुसूचित जाति वर्ग में हर पार्टी बागरी समुदाय के अलावा, हरिजन और कोरी समुदाय को भी साधने में जुटी रहती है।


About Author

Harpreet Kaur

Other Latest News