जबलपुर, संदीप कुमार। करीब 10 महीने बाद आज से मध्यप्रदेश की तमाम जिला एवं कुटुंब अदालतों में नियमित रूप से भौतिक सुनवाई होना शुरू हो जाएगी। इस संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर दिए हैं। नियमित सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं और पक्षकारों को पर कोरोना गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा।
24 मार्च को लॉक डाउन के बाद से जिला एवं कुटुंब अदालत में सुनवाई होना हो गई थी बंद
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते मार्च 2020 को लॉकडाउन लगा और उसके बाद से ही मध्यप्रदेश की तमाम जिला और कुटुंब न्यायालय में भौतिक सुनवाई होना बंद हो गई। हालांकि इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अर्जेंट मामलों की सुनवाई जरूर होती रही। वही अधिवक्ता संघ की मांग पर 23 नवंबर 2020 से जिला और कुटुंब अदालतों में भी एक दिन छोड़ 1 दिन प्रायोगिक तौर पर ने में सुनवाई शुरू कर दी गई थी। सब कुछ ठीक होता देख 18(सोमवार) जनवरी से नियमित भौतिक सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने अब आदेश जारी कर दिए हैं।
Read More: एक दिवसीय दिल्ली दौरे पर सीएम शिवराज, केंद्रीय मंत्री से करेंगे मुलाकात
अधिवक्ता को बुखार होने पर नहीं मिलेगा कोर्ट में प्रवेश
कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि यदि किसी अधिवक्ता या पक्षकार को बुखार होता है तो फिर उसे उस स्थिति में उसे अदालत परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। कोर्ट परिसर में कैंटीन और फोटोकॉपी की दुकानों को पूर्णता बंद रखा गया है। वहीं अदालत परिसर में केवल उन अधिवक्ता और पक्षकारों को को प्रवेश दिया जाएगा जिनके प्रकरणों की सुनवाई होना है।
सुनवाई के दौरान सिर्फ 10 लोगों को मिलेगी प्रवेश की अनुमति
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार कोर्ट रूम में 10 से अधिक व्यक्तियों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। वहीं 65 वर्ष से अधिक आयु वाले अधिवक्ताओं और पक्षकारों को अदालत में भौतिक उपस्थिति से छूट प्रदान की गई है। हाईकोर्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नियमित सुनवाई के नोट सीट पर अधिवक्ता और पत्रकारों के हस्ताक्षर फिलहाल नहीं होंगे। साथ ही सुनवाई के लिए कोर्ट रूम में प्लास्टिक शीट लगवाई जाएगी।