भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना (corona) की वजह से मार्च महीने से बंद पड़े मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के स्कूल को खोलने की पूरी तैयारी हो गई है। शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (vishwas sarang) की अध्यक्षता में शिक्षण सत्र 2020-21 सत्र में स्कूल खोलने (school reopen) को लेकर बैठक की गई। इस बैठक में 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए गाइडलाइन (guideline) जारी की गई। इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि प्रदेश में 1 से 8 तक की कक्षा 31 दिसंबर तक बंद रखे जाएंगे।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा मंडल 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं अपने नियत समय पर होगी। जिसके लिए अब कक्षाओं का खोला जाना अति आवश्यक हो गया है। वही कक्षा को खोले जाने को लेकर गाइडलाइंस भी जारी की गई। शुक्रवार को क्राइसिस मैनेजमेंट कमिटी की हुई बैठक में 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए गाइडलाइन जारी की गई।
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जिसके मुताबिक 9वीं से 12वीं तक के बच्चों की रेगुलर क्लास नहीं खोली जाएगी। विद्यार्थी अपनी शंका का समाधान के लिए कक्षा में उपस्थित हो सकते हैं। इसके साथ ही साथ एक कक्षा में अधिकतम 50 बच्चों को बैठाया जाएगा। स्कूल आने से पहले विद्यार्थियों को अभिभावकों से लिखित सहमति लेने अनिवार्य होंगे। इसके अलावा स्कूल को सौंपी गाइडलाइन के मुताबिक संस्थान में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। इस दौरान प्रदेश के निजी कोचिंग संस्थान के छात्रावास बंद रहेंगे।
शिक्षण संस्थान के द्वार पर एक टीम तैनात रहेगी जो थर्मल स्क्रीनिंग के साथ हैंड सेनिटाजेशन का काम करेगी। इसके अलावा यह खासतौर पर ध्यान रखा जाएगा कि कोई भी छात्र बिना मास्क के शिक्षण संस्थान के अंदर प्रवेश नहीं करें। बच्चों के शरीर का तापमान जांच करने के बाद ही उसे शिक्षण संस्थान में प्रवेश दिया जाएगा। कक्षा में बैठने की व्यवस्था में 2 विद्यार्थियों के बीच कम से कम 6 फीट की दूरी रहे। इसके लिये एक कुर्सी छोड़कर बिठाये जाने की व्यवस्था रखी जाये यदि बैंच की व्यवस्था हो तो एक बैंच पर एक ही छात्र बैठे।
इसके अलावा यदि कोई कर्मचारी है बच्चा कोरोना पॉजिटिव होता है तो उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के 7 दिन के क्वारंटाइन अवधि के बाद ही उसे शिक्षण संस्थानों में प्रवेश दिया जाएगा। इस संबंध में प्रमाण पत्र भी लिया जाएगा। साथ ही क्राइसिस मैनेजमेंट बैठक में यह तय किया गया कि संस्थान में कोरोना के प्रोटोकॉल के पालन की पूरी जिम्मेदारी संस्थान संचालक की होगी। वहीं यदि कोई शिक्षण संस्थान कोरोना गाइडलाइन और प्रोटोकोल का उल्लंघन करता है तो उस पर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने के साथ-साथ 50 हजार रुपए तक का जुर्माना भी किया जा सकता है।