ग्वालियर, अतुल सक्सेना। जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) की हड़ताल (Strike) समाप्त होने के बाद अब मध्यप्रदेश की नर्सेस (Nurses) ने हड़ताल का एलान किया है। अपने आंदोलन की शुरुआत मध्यप्रदेश नर्सेस एसोसिएशन ने आज बुधवार से काली पट्टी बांधकर कर दी। एसोसिएशन ने 9 जून से 15 जून तक के अपने चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है। मध्यप्रदेश नर्सेस एसोसिएशन (MP Nurses Association) ने कहा है कि आंदोलन के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो।
पिछले दिनों सात दिनों तक चली जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को राज्य सरकार ने समझाइश देकर समाप्त करवा लिया। हड़ताल ख़त्म हो जाने से शासन रहत की साँस ले ही रहा था कि अब मध्यप्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज की 6000 नर्सेस ने विरोध प्रदर्शन का एलान कर दिया है। आज 9 जून को प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज में पदस्थ नर्सेस ने काली पट्टी बांधकर काम किया और विरोध जताया।
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मध्यप्रदेश नर्सेस एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान करते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश में कार्यरत स्टाफ नर्स की लंबित मांगों के निराकरण के लिए कई बार शासन प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से स्मरण कराया जा चुका है लेकिन आज तक नर्सेस की मांगों पर विचार नहीं किया गया।
मधयपदेश नर्सेस एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष परमार ने कहा कि वर्तमान में पूरा देश इस बात को मान चुका है कि इस कोरोना महामारी में जो सबसे ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में उभर कर सामने आए हैं वह हमारी नर्सेस हैं अपनी जान की परवाह न करते हुए उन्होंने देश पर आए इस संकट की घड़ी में अपना पूरा योग्दान दिया। कई संगठनों ने नर्सेस के पैर छूकर उन्हे सम्मानित किया, किसी ने श्रीफल और शॉल से सम्मानित किया। नर्सेस ने कोरोना में समर्पण भाव के साथ अपना दायित्व पूरे इमानदारी से निभाया है। हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग से यह अपेक्षा रखते हैं कि नर्सेस की मांगों को एक मंच पर लाकर उनका निराकरण करने की कृपा करें ।
अब प्रदेश की नर्सेस आक्रोशित@VishvasSarang pic.twitter.com/ep53EIeHLV
— MP Breaking News (@mpbreakingnews) June 9, 2021
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ये हैं नर्सेस की मागें
1 – पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
2 – कोरोना काल में जान गंवाने वाले नर्सिंग स्टाफ के परिजन को अनुकंपा नियुक्ति देने के साथ साथ 15 अगस्त को कोरोना योद्धा अवार्ड से सम्मानित किया जाए ।
3 – कोरोना काल में शासन स्तर पर जितनी भी घोषणा की गई उन पर अमल नहीं किया गया। नसेंस को सम्मानित करते हुए अग्रिम दो वेतन वृद्धि का लाभ उनकी सैलरी में लगाया जाए।
4 – 2018 के आदर्श भी नियमों में संशोधन करते हुए 70 % , 80 % एवं 90 % का नियम हटाया जाए एवं प्रतिनियुक्ति समाप्त कर स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
5 – सरकारी कॉलेजों में सेवारत रहते हुए नर्सेस को उच्च शिक्षा हेतु आयु बंधन हटाया जाए एवं मेल नर्स को समान अवसर दिया जाए।
6 – कोरोना काल में अस्थाई रूप से भर्ती की गई नर्सेस को नियमित किया जाए एवं प्राइवेट कम्पनी से लगाई गई नसों को भी उनकी योग्यता के अनुसार नियमित किया जाए क्योंकि कोरोना काल में इनके योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता।
7 – मध्यप्रदेश में कार्यरत नर्सेस को एक ही विभाग में समान कार्य के लिए समान वेतन मान दिया जाए।
8 – वर्षों से लंबित पड़ी पदोन्नति को शुरू करते हुए नर्सेस की पदोन्नति की जाए और नर्सेस को डेजिग्नेशन प्रमोशन दिया जाए एवं अन्य राज्यो कि तरह नर्सेस के पद नाम परिवर्तित किए जाएं।
9 – मेल नर्स की भर्ती की जाए ।
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नर्सेस एसोसिएशन ने इन मांगों के साथ कहा है कि एसोसिएशन मध्यप्रदेश शासन व प्रशासन से अनुरोध करता है कि हमारी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए इनका निराकरण कराने की कृपा करें एवं चर्चा के लिए प्रदेश कार्यकारिणी के साथ एक मीटिंग का आयोजन कराने की कृपा करें अन्यथा नर्सेस एसोसिएशन नर्सेस की मांगों को आप तक पहुंचाने के लिए विरोध दिवस की घोषणा करने और उस पर अमल करने के लिए बाध्य होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।
ऐसा होगा विरोध सप्ताह
1 – 9 जून एवं 10 जून को सभी नर्सेस काली पट्टी बांध कर कार्य करेंगी।
2 – 11 जून को पीपीई किट पहनकर प्रदर्शन करेंगी।
3 – 12 जून को मानव श्रृंखला बनाते हुए मांगों की तख्तियां हाथ में लेकर खड़े रहेंगे ।
4 – 13 जून को सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा आम जनता को आने वाली परेशानियों के लिए क्षमा मांगते हुए एक बार फिर से शासन को जगाया जाएगा अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से मीडिया के माध्यम से शासन व प्रशासन तक पहुंचाने की पहल की जाएगी ।
5 – 14 जून को सांकेतिक धरना किया जाएगा समय 10:00 से 4:00 बजे तक पर शासकीय कार्य के साथ साथ मरीजों को किसी भी तरह की कोई भी परेशानी नहीं आने दी जाएगी ।
6 – 15 जून को 2 घंटे का संपूर्ण कार्य बंद कर दिया जाएगा इसके उपरांत भी अगर शासन प्रशासन नर्सेस की मांगों को लेकर गंभीर नहीं हुआ तो आगे की रणनीति उसी समय तैयार कर समस्त मेडिकल कॉलेज में कार्यरत नर्सेस अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होगी जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन कि होगी।