मुख्यमंत्री कोरोना अनुग्रह योजना में कब-कैसे-किसे मिल सकती सरकारी मदद, जाने यहां

Kashish Trivedi
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भोपाल,  डेस्क रिपोर्ट। कोरोना संक्रमण (corona infection) की दूसरी लहर (second wave) में मध्य प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोग न सिर्फ संक्रमित हुए बल्कि इससे संक्रमित होने के बाद लोगो ने अपनी जान गवाई है। इस महामारी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) ने प्रदेश की जनता को राहत देने कोरोना से मृत लोगों के परिजनो को 1-1 लाख रूपए देने की घोषणा की है।

हालांकि इसे लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। फिलहाल चार योजनाओं के पात्र लोगों द्वारा किए गए आवेदनों की छानबीन चल रही है। इसमें खास यह कि मुख्यमंत्री कोरोना अनुग्रह योजना (Chief Minister Covid-19 Special Grace Scheme) में जिन सरकारी कर्मचारियों की मौत के बाद उनके परिजन को जो 5 लाख रूपए मुआवजा बतौर मिलना है, उस पर स्क्रूटनी (scrutiny) चल रही है।

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इसके तहत संबंधित मृत कर्मचारी के पीएफ, बकाया राशि सहित अन्य बिंदुओं पर छानबीन चल रही है। मृत कर्मचारी के सेवाकाल में रहने के दौरान सरकारी की ओर से किसी भी प्रकार के मद में लेनदारी पाई गई तो यह राशि 5 लाख रूपए की मुआवजा राशि में से कटकर ही मिलेगी। यानी कि इस योजना में अभी पीड़ितों को कितना फायदा मिलेगा यह कह पाना मुश्किल है क्योंकि कटौती का मापदंड क्या होगा फिलहाल यह पूरी तरह से निश्चित नही किया गया है।

वही लोगो को राहत देते हुए सीएम शिवराज (CM Shivraj) ने एक और योजना से ऐसे लोगो को फायदा पहुँचाने की कोशिश की है ।जिनके परिजन सरकारी नौकरी में थे और कोरोना से उनकी मौत हुई। मुख्यमंत्री कोरोना अनुग्रह योजना के लिए भी पड़ताल होगी। इसके तहत सरकारी कर्मचारी की अगर क्लर्क या संविदा के पद पर रहते हुए मौत हुई है तो उसी पद पर परिवार के किसी व्यक्ति को अनुकंपा दी जाएगी। इसमें उम्र, शिक्षा आदि को लेकर जो मापदंड हैं उन्हें भी देखा जा रहा है। फिलहाल तय मापदंड के बाद ही यह नौकरी पात्र व्यक्ति को मिलेगी।

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सरकार की ऐसी ही एक योजना और है। जिसमे कोरोना योद्धा योजना में 10 लाख रूपए की राशि का प्रावधान है। वही मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना भी शुरू की गई है। इसमें ऐसे बच्चे व युवा जिनकी उम्र 21 से कम है तथा माता-पिता दोनों की मौत 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच हो चुकी है। उन्हें 5 हजार रूपए प्रतिमाह व मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है।

फिलहाल इस योजना के तहत भी पहले दौर में छानबीन के बाद 8 आवेदनों में 12 बालक-बालिकाओं को पात्र पाया गया है। इसमें कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिनके दो बच्चे हैं। इन आवेदनों को कलेक्टर की स्वीकृति के बाद भोपाल भेज दिया गया है। दो आवेदन ऐसे थे जिनमें से माता-पिता किसी एक की मौत हुई थी, उन्हें निरस्त किया गया है।

कोविड 19 की दूसरी लहर से प्रदेश उबर रहा है लॉकडाउन खुल चुका है और धीरे धीरे ज़िंदगी फिर पटरी पर लौट रही है । महामारी ने हजारों परिवार तबाह कर दिए लोग न सिर्फ आर्थिक रूप से टूटे बल्कि सड़क पर आ गये ऐसे में सरकार की ऐसी योजनाओं से लोगो को उबरने में मदद मिलेगी। लेकिन फिलहाल इन योजनाओं में जो पेंच है उससे भी पार पाना पीड़ित परिवारों के लिए चुनौती होगी।


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