नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। भारत सरकार बैंकों के निजीकरण (Bank Privatization) पर जोरों-शोरों से तैयारियां कर रही है। हालांकि सरकार के बैंक प्राइवेटाइजेशन के इस कदम पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। सरकार ने देश के दो बैंकों को निजीकरण करने की तैयारियां कर ली है। साथ ही कई कंपनियों की बोली भी मंगाई है। सरकारी बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसबी में विदेशी स्वामित्व पर 20% के लिमिट को हटाने की तैयारी में है। इस लिस्ट में दो सरकारी बैंकों को भी शॉर्ट लिस्ट किया है।
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रिपोर्ट्स की माने तो इस लिस्ट में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को शामिल किया गया है। कहा जा रहा है की इस महीने सरकार दोनों या फिर किसी एक बैंक को प्राइवेटाइज कर सकती है। इसकी तैयारियां भी हो चुकी है। इंटर-मिनिस्ट्री का विचार भी अंतिम चरण में है। बहुत जल्द निजीकरण का प्रोसेस आगे बढ़ सकता है। रिपोर्ट्स की माने तो बैंक प्राइवेटाइजेशन का यह काम इन फाइनैन्शियल ईयर के खत्म होने तक पूरा हो जाएगा। इस मामले में बहुत जल्द केंद्र भी हरी झंडी दिखा सकता है।
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बता दें की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल 1 फरवरी को फाइनैन्शियल ईयर के लिए बजट पेश करते हुए आईडीबीआई के साथ दो अन्य बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। जिसके बाद नीति आयोग ने निजीकरण के लिए दो PSU बैंक को शॉर्टलिस्ट किया है। सरकारी एक बीमा कंपनी के निजीकरण की भी योजना बना रहा है।