तो क्या महंगा हो जाएगा विमान किराया? अधिकारियों ने दिए यह संकेत

Pooja Khodani
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। महंगाई की मार झेल रही आम जनता के लिए एक और बुरी खबर सामने आ सकती है, यह खबर उन लोगों के लिए खास है जो लोग घरेलू एयरलाइंस में अक्सर सफर किया करते हैं। अब ऐसे लोगों की जेब पर महंगाई का एक और भार पड़ सकता है।

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आपको बता दें अभी हाल ही में एयर टरबाइन फ्यूल की कीमत है लगभग 8 से 10 बार बढ़ाई गई हैं और परेशानी की बात यह है की इन कीमतों के इजाफा होने पर विराम कब लगेगा यह अब तक किसी को जानकारी नहीं है। जिस वजह से पहले ही घरेलू एयरलाइन के टिकटों की कीमतों में वृद्धि की जा चुकी है। क्योंकि ATF की कीमतें अभी भी स्थिर नहीं है और अगर ऐसे में दोबारा कीमतों में वृद्धि की जाती है तब एयरलाइंस को यात्री टिकट में भी मजबूर वृद्धि करनी पड़ेगी।

घरेलू एयरलाइंस के अधिकारियों की माने तो उनके मुताबिक अगर एटीएफ की कीमतों में वृद्धि स्थिर नहीं होती है तो हर महीने हवाई टिकटों में 500 से ₹600 तक की वृद्धि की जाएगी, और जिस तरह से तेल की कीमतों में इजाफा होगा उसी तरह से मजबूर है टिकट की कीमतों को भी बढ़ाना पड़ेगा।

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अधिकारियों की बात माने तो अभी जो विमान कंपनियों की लागत है अगर उसकी भरपाई के लिए किराया बढ़ाया जाए तो  कम से कम किराए में 10 से 15 फीसद की बढ़ोतरी करनी होगी, जो ना तो एयरलाइन के लिए अच्छा है और ना ही यात्रियों के लिए। इसीलिए केंद्र और राज्य सरकारों को जल्द से जल्द इस पर कुछ निर्णय लेना चाहिए।

महामारी की मार झेल रही एयरलाइन इंडस्ट्रीज पहले से ही नुकसान में है और उस पर यदि किराया बढ़ाना मजबूरी होती है तो यह भी उनके लिए घाटे का सौदा ही साबित हो सकता है। एयरलाइंस अधिकारियों की माने तो बढ़ते किराए के चलते पहले ही यात्रियों की संख्या में काफी गिरावट आ चुकी है। और यदि बढ़ती तेल की कीमतों से किराए को एक बार फिर बनाए जाने का निर्णय लिया जाएगा तो वह ना तो यात्रियों के पक्ष में होगा और ना ही बढ़ती हुई एयरलाइन इंडस्ट्रीज के।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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