हम आपको बता दें कि नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट गोपीनाथ ने इस मुद्दे पर एक तत्काल वैश्विक नीति का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि क्रिप्टो उभरते बाजारों के लिए एक चुनौती साबित हो रहे हैं और इन पर कड़े नियमन की जरूरत है।
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आगे उन्होंने कहा कि डिजिटल करेंसी पर प्रतिबंध लगाना हमेशा एक चुनौती होगी क्योंकि वे ऑफशोर एक्सचेंज (offshore exchange) से संचालित होते हैं। “एनसीएईआर द्वारा आयोजित ‘2022 में वैश्विक सुधार और नीतिगत चुनौतियां’ पर एक व्याख्यान के दौरान गोपीनाथ ने कहा कि कोई भी देश इस समस्या को अपने दम पर हल नहीं कर सकता है, क्योंकि सीमा पार लेनदेन को देखते हुए, “इस पर तत्काल एक वैश्विक नीति की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि इस पर तत्काल एक वैश्विक नीति की जरूरत है।
गोपीनाथ ने कहा कि भारत की मुद्रास्फीति (inflation) 6 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर है, इसलिए इस माहौल में सरकार का नीति बनाना या स्वीकार करना, अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है, यह अपने आप में एक प्रमुख मुद्दा है।
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बात करें विकासशील देशों कि तो क्रिप्टो को यहां पर अक्सर परेशानी की रूप में ही देखा जाता है। उभरती अर्थव्यवस्थाएं एक्सचेंज रेट कंट्रोल और कैपिटल कंट्रोल को लेकर अक्सर काफी सचेत होती हैं। लेकिन क्रिप्टो मार्केट इन सभी विनियमों को नहीं मानता है जिस वजह से इन देशों को अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है।
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उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सरकार क्रिप्टोक्यूरेंसी विनियमन पर एक विधेयक लाने पर विचार कर रही है।
हालांकि, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बुधवार को विधेयक को विचार के लिए नहीं लेने और संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को समाप्त होने के कारण, इसके सदन में पेश किए जाने की संभावना कम है।
गोपीनाथ, जो 21 जनवरी, 2022 को आईएमएफ के पहले उप प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यभार संभालेंगी, उन्होंने बुधवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।