Income Tax Return: आईटीआर भरने पर चाहते हैं ज्यादा-से-ज्यादा टैक्स रिफंड? तो करें ये 5 काम

टैक्सपेयर्स 5 आसान तरीकों से इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने पर अधिकतम टैक्स रिफंड्स प्राप्त कर सकते हैं। आइए एक नजर इन तरीकों पर डालें।

Manisha Kumari Pandey
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Income Tax Return: वित्तवर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग शुरू हो चुकी है। टैक्सपेयर्स 31 जुलाई तक आईटीआर फॉर्म भर सकते हैं। डेडलाइन खत्म होने से पहले आप आयकर विभाग के ऑफ़िशियल वेबसाइट https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/ पर जाकर इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते हैं। यदि इस साल आप आईटी भरने की योजना बना रहे हैं और आपको लगता है आपका टैक्स रिफ़ंड के हकदार हैं तो आप पुरानी टैक्स व्यवस्था के जरिए कुछ उपायों को करके अधिकतम टैक्स रिफ़ंड प्राप्त कर सकते हैं।

सभी लागू कटौतियों और छूट का उठायें लाभ 

आईटीआर भरते समय सभी उपलब्ध कटौतियों और छूटों का दावा करें। ऐसे में आप अपनी कर देनदारी कम कर सकते हैं। हालांकि ऐसी कटौती और छूट राशि की गणना कर व्यवस्था आवासीय स्थिति आदि पर विचार करने के बाद सही तरीके से करनी चाहिए।

आईटीआर भरने में न करें देरी 

हमेशा डेडलाइन से पहले इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना चाहिए। धारा 234F के तहत देरी से आईटीआर भरने पर लेट फीस का भुगतान करना पड़ता है। जो 5,000 रुपए से 5 लाख रुपए तक हो सकता है।

फॉर्म 26एएस/ASI/TIS का करें समाधान 

आईटीआर भरते समय टैक्सपेयर्स को टीडीएस और टीसीएस के कारण भुगतान किए अतिरिक्त टैक्स का समाधान जरूर कर लेना चाहिए। ऐसा न करने पर राजस्व अधिकारियों के रिकॉर्ड और करदरा के रिकॉर्ड के मुताबिक टीडीएस और टीसीएस की मात्रा में किसी भी विसंगति के कारण करदाता को कम रिफ़ंड मिलने की संभावना बढ़ जाती है। टैक्सपेयर्स को फॉर्म 26AS और AIS के बीच किसी भी गलती का पता चलने पर गलती के सुधार के लिए पोर्टल पर फ़ीडबैक देना चाहिए। साथ ही फॉर्म 26एएस के त्रुटि को लेकर कटौतिकर्ता को वेरिएशन की जानकारी देनी चाहिए और सुधार का अनुरोध करना चाहिए।

सही समय पर करें टैक्स रिटर्न का ई-वेरीफिकेशन 

आईटीआर फ़ाइल करने के बाद ई-सत्यापन बहुत जरूरी माना जाता है। टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने के 30 दिनों के भीतर ही ई-वेरीफिकेशन करवाना चाहिए। इसके अलावा आईटीआर-वि की भौतिक प्रति सीपीसी, बैंगलोर भेजकर भी टैक्स रिटर्न को वेरीफाइड किया जा सकता है।

बैंक अकाउंट को करें वैलिडेट

बेहतर आयकर रिफ़ंड प्राप्त करने के लिए टैक्सपेयर्स अपने नाम, पैन कार्ड और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करने बैंक खाते को प्री-वैलिडेट करें। इसके अलावा टैक्सपेयर्स यह भी सुनिश्चित करें कि यह रिटर्न प्रस्तुत करते समय बैंक जैसे कि अकाउंट नंबर, IFSC कोड इत्यादि सही तरीके से प्रदान करें।

 


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