नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। यूजीसी (UGC) ने एकबार फिर से बड़ी तैयारी की है। दरअसल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पीएचडी में प्रवेश (PhD Admission) के लिए दाखिले नियम को फिर से संशोधित किया गया है। संशोधित नियम के तहत 4 साल अंडरग्रैजुएट डिग्री होल्डर कम से कम 7.5 सीजीपीए के साथ अंडरग्रैजुएट डिग्री धारी है। उनके लिए पीएचडी प्रोग्राम आधिकारिक तौर पर ज्वाइन करने का मौका उन्हें प्रदान किया गया है।
इसके अलावा प्रोफेशनल भी पार्ट टाइम डिग्री रिसर्च कोर्स कर सके, इसके लिए तैयारी पूरी की जा रही है। यूजीसी द्वारा नेट जेआरएफ क्वालीफायर के लिए 60 फीसद सीट आरक्षित करने के फैसले को लेकर प्रस्ताव को फिलहाल रोका गया है। यूजीसी के चेयरमैन के मुताबिक इस तरह डिग्रीधारियों के सुझावों को ध्यान में रखकर फिलहाल इस तरह के विचार को रोका गया है।
नए नियम के तहत ऐसे उम्मीदवार जो 4 साल के डिग्री धारक है, उन्हें कम से कम 7.5 सीजीपीए होने चाहिए। वह पीएचडी में एडमिशन ले सकते हैं। इसके अलावा 4 साल की डिग्री और फिर पीजी से पहले और दूसरे साल के छात्र भी पीएचडी में एडमिशन लेने की पात्रता रखेंगे। साथ ही नए नियम के तहत प्रोफेशनल भी पार्ट टाइम पीएचडी प्रोग्राम में भाग ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा।
नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट में संस्थान की तरफ से यह लिखा जाना अनिवार्य होगा कि उनकी ऑफिशियल ड्यूटी द्वारा उन्हें यह प्रोग्राम करने की सुविधा दी जाती है वह रिसर्च के समय जरूरी समय निकाल सकेंगे। नए मानदंड में पीएचडी थीसिस जमा करने के लिए पियर रिव्यू जनरल में शोध पत्र प्रकाशित करने की अनिवार्य आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया है।
संशोधित नियम के तहत सेवानिवृत्ति से पहले 3 साल से कम सेवा वाले संकाय सदस्यों को नए शोध में विद्वानों की निगरानी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रत्येक पर्यवेक्षक को दो अंतरराष्ट्रीय शोध विद्वानों को एकत्रित आधार पर मार्गदर्शन देने की अनुमति दी जाएगी। पीएचडी विद्वान की अनुमति संख्या के ऊपर पर्यवेक्षण कर सकते हैं।