नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। 7th Pay Commission कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। दिवाली या नवंबर में उनके वेतन (salary) में बड़ी वृद्धि होगी। इससे 1 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों (pensioners) को फायदा होगा। सरकार नवंबर में सरकारी कर्मचारियों के लिए रिटर्न की आंतरिक दर में वृद्धि की घोषणा कर सकती है। जुलाई-अगस्त में AICPI के आंकड़ों में बढ़ोतरी के साथ ही डीए बढ़ाने (DA Hike) का रास्ता साफ हो गया। श्रम उपहार छात्रवृत्ति (Gift Scholarship Statistics) सांख्यिकी मंत्रालय जारी किया गया है। वर्तमान में, कर्मचारियों को आंतरिक दर का 28% प्राप्त होता है। आने वाले दिनों में इसमें तेजी आएगी।
उपहार छात्रवृत्ति 31 प्रतिशत तक पहुंच गई
श्रम मंत्रालय के अनुसार अगस्त 2021 में औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AI CPI-IW) में वृद्धि हुई है। यह बढ़कर 123 हो गया है। सितंबर के आंकड़े अभी तक नहीं आए हैं। इससे कर्मचारियों का डीए 28 फीसदी से बढ़ाकर 31 फीसदी किए जाने की उम्मीद है। इसका सीधा फायदा कर्मचारियों को दिवाली के आसपास होगा। हालांकि यह लाभ अगले महीने से उपलब्ध नहीं होना चाहिए। लेकिन, कोई घोषणा हो सकती है।
10-90 हजार रुपए तक बढ़ेगी सैलरी
जेसीएम सचिव शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई दर पर वेतन मिलना चाहिए। सरकार ने अभी तक बकाया स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ऐसे में अगर नवंबर में 3 फीसदी डीए का ऐलान होता है तो निश्चित तौर पर राहत की बात होगी। एक कर्मचारी का मूल वेतन अगर 30,000 रु तो उनके वेतन में 900 रुपये प्रति माह की वृद्धि होगी। सालाना आधार पर उनके कुल वेतन में सीधे तौर पर 10,800 रुपये की बढ़ोतरी होगी। कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारियों का वेतन रु. 7500 की वृद्धि होगी। यानी अधिकतम 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह वालों को सालाना आधार पर 90 हजार रुपये का लाभ मिलेगा।
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उपहार भत्ता (gift allowance) कर्मचारियों के वेतन पर आधारित है। शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए आंतरिक दरें अलग-अलग हैं। गिफ्ट स्टाइपेंड (gift stipend) की गणना मूल वेतन के आधार पर की जाती है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा निर्धारित सब्सिडी (subsidy) भुगतान की गणना के लिए एक सूत्र तैयार किया गया है।
महंगाई भत्ता क्या है?
महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों को उनके जीवन यापन की लागत में सुधार के लिए दिया जाने वाला धन है। इस पैसे का भुगतान इस तरह किया जाता है कि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के जीवन स्तर में कोई अंतर नहीं आता है। यह पैसा सरकारी कर्मचारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दिया जाता है।
इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी। उस समय यह पैसा सैनिकों को वेतन के अलावा भोजन और अन्य सुविधाओं के लिए दिया जाता था। उस समय इसे ड्यूर्नस अलाउंस या ड्यूर्नस फूड अलाउंस (Durans Food Allowance) कहा जाता था। भारत में पहली बार महंगाई भत्ता 1972 में मुंबई से शुरू किया गया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों को सब्सिडी देना शुरू किया।
हर 6 महीने में होता है बदलाव
कर्मचारियों के जीवन और भोजन की गुणवत्ता में सुधार के लिए DA दिया जाता है। सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को छात्रवृत्ति (scholarship) प्रदान की जाती है। उपहार वेतन (Gift pay) प्रदान किया जाता है ताकि बढ़ती महंगाई के बाद भी कर्मचारियों को अपने जीवन जीने में किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े। महंगाई भत्ता आमतौर पर हर 6 महीने में जनवरी और जुलाई में बदला जाता है।