पुणे, डेस्क रिपोर्ट। शिक्षा (Education) और सीखने को कोई उम्र नहीं होती है। इस बात को सार्थक किया है पुणे (pune) के एक शख्स ने। आर्थिक तंगी के कारण जिन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। हालाकि आज 30 वर्ष बाद पिता ने 10वीं की परीक्षा में (10th board result) सफलता हासिल कर अपने सपने को पूरा किया है। हालाकि इसी परीक्षा में उनका बेटा फेल हो गया है। दरअसल महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी और हाई सेकेंडरी एजुकेशन के रिजल्ट (Maharashtra State Board of Secondary and Higher Secondary Education Result) की घोषणा की गई थी। 17 जून को घोषित हुए दसवीं के परीक्षा परिणाम में पुणे से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया।
जहां 43 वर्षीय एक शख्स ने दसवीं की परीक्षा अच्छे नंबर से उत्तीर्ण की है। हालांकि 43 वर्षीय भास्कर वाघमारे ने 30 वर्ष के बाद हुई परीक्षा में जहां अच्छे अंक हासिल किए हैं। वहीं उनका बेटा परीक्षा पास नहीं कर पाया और दो विषयों में फेल हो गया है। पिता की सफलता से एक तरफ जहां घर में खुशी का माहौल है। वहीं बेटे के फेल होने से सभी लोगों में हल्की मायूसी छाई हुई है। इसी बीच पुत्र ने जहां अपने पिता की खुशी और उनके जज्बे का समर्थन किया है। वहीं पिता ने भी कहा है कि वह अपने पुत्र के इस घड़ी में उसके साथ है और पूरक परीक्षा में पुत्र के अच्छे अंक लाने के लिए उसकी मदद करेंगे।
महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन की ओर से आयोजित 10वीं की परीक्षा के नतीजे शुक्रवार को घोषित कर दिए गए। भास्कर वाघमारे, जिन्हें सातवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी और अपने परिवार को चलाने के लिए नौकरी करनी पड़ी, वो पढ़ाई फिर से शुरू करने के इच्छुक थे। इसलिए 30 साल के अंतराल के बाद, उन्होंने इस साल अपने बेटे के साथ परीक्षा दी।
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पुणे शहर के बाबासाहेब अंबेडकर डायस प्लॉट के निवासी वाघमारे ने कहा कि मैं हमेशा से अधिक पढ़ना चाहता था, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण और अपनी आजीविका चलाने के लिए पहले ऐसा नहीं कर सका। वाघमारे के मुताबिक कुछ समय से, वो पढ़ाई फिर से शुरू करने और कुछ पाठ्यक्रम करने के लिए उत्सुक थे जिससे उन्हें अधिक कमाई करने में मदद मिलेगी। इसलिए, उन्होंने कक्षा 10 की परीक्षा में बैठने का फैसला किया था। उनका बेटा भी इस साल परीक्षा दे रहा था, और इससे उन्हें काफी मदद मिली।
वाघमारे ने कहा कि वह हर दिन पढ़ाई करते थे और काम के बाद परीक्षा की तैयारी करते थे। हालाँकि अब वह परीक्षा पास करके खुश है, लेकिन उसे इस बात का दुख है कि उसका बेटा दो पेपर में फेल हो गया। उन्होंने कहा कि मैं पूरक परीक्षा में अपने बेटे का समर्थन करूंगा और मुझे उम्मीद है कि वह उन्हें पास कर लेगा।
वाघमारे के पुत्र का कहना है कि मुझे खुशी है कि मेरे पिता ने वह किया जो वह हमेशा से करना चाहते थे। लेकिन, मैं भी हार नहीं मानूंगा। मैं पूरक परीक्षा की तैयारी करूंगा और प्रश्नपत्रों को पास करने की कोशिश करूंगा। शुक्रवार को घोषित परिणामों के अनुसार, इस वर्ष कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 96.94 प्रतिशत रहा। कोंकण संभाग ने सर्वाधिक उत्तीर्ण प्रतिशत 99.27 दर्ज किया, जबकि नासिक संभाग 95.90 प्रतिशत के साथ सबसे नीचे रहा है।