सिंधिया बने नागरिक उड्डयन मंत्री, नैतिक आधार पर इसी मंत्रालय को छोड़ पिता ने पेश की थी मिसाल

भोपाल, गौरव शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुधवार को हुए कैबिनेट विस्तार (Cabinet Expansion) में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को अहम जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया है। सिंधिया के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया भी इस विभाग के मंत्री रह चुके हैं।

Modi Cabinet Expansion: नए केंद्रीय मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा, जानें किसको क्या मिला

नरेंद्र मोदी कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया का जलवा देखने को मिला। कैबिनेट मंत्रियों में चौथे नंबर पर शपथ लेने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को शाम होते-होते विभागों के बंटवारे में नागरिक उड्डयन जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया। अब सिंधिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह किस तरह से देश की बिगड़ती हुई एयरलाइंस व्यवस्था को पटरी पर लाएं। दरअसल एयर इंडिया जैसा सार्वजनिक उपक्रम बिकने के कगार पर है और जेट एयरवेज जैसी महत्वपूर्ण निजी एयरलाइन भी बंद हो चुकी है। सिंधिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती न केवल सार्वजनिक उपक्रम एयर इंडिया को एक बार फिर रास्ते पर लाना है बल्कि उसके साथ-साथ निजी क्षेत्र में संभावनाओं को तलाशते हुए हवाई सेवाओं का विस्तार करना भी है।

हालांकि उनके पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिम्हा राव की कैबिनेट में नागरिक उड्डयन जैसा विभाग संभाल चुके हैं और उन्होंने अपने पद से एक रूसी विमान की दुर्घटना के चलते इस्तीफा देकर नैतिकता का वही उदाहरण प्रस्तुत किया था जो वर्षों पहले रेल मंत्री रहते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए किया था। इन दोनों घटनाओं में सिंधिया का इस्तीफा देना इसलिये ज्यादा महत्वपूर्ण था क्योंकि रूसी विमान की दुर्घटना में एक भी जनहानि नहीं हुई थी। अब 29 साल बाद पिता का संभाला हुआ मंत्रालय पुत्र संभालने जा रहे हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि वे अपने पिता से दो कदम आगे इस विभाग को ऊंचाइयों पर पहुंचाने में पूरी तरह सफल होंगे।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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