जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। आय से अधिक संपत्ति (disproportionate assets) मामले में लगातार मध्यप्रदेश (MP) में बड़ी कार्रवाई देखी जारी है। इसी बीच हाईकोर्ट (MP High court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते की जनहित याचिका पर बड़े निर्देश देते हुए याचिका का पटाक्षेप कर दिया है। हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए राज्य ओबीसी आयोग के चेयरमैन (Chairman of State OBC Commission) के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति को लेकर जांच करने के निर्देश दिए हैं।
बता दे कि बालाघाट लांजी से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समृद्ध ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने महत्वपूर्ण आदेश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य ओबीसी आयोग के चेयरमैन की आय से अधिक संपत्ति को लेकर लगाए गए। HC ने लोकायुक्त को कहा कि आरोपों की विधि अनुसार जांच की जाए। इससे पहले लांजी से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक ने 2012 में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाए थे। तब उन्होंने कहा था कि तत्कालीन कैबिनेट मंत्री के पास 1984 में कोई खास संपत्ति नहीं थी। लेकिन 2008 से 18 तक विधायक और मंत्री रहते हुए उनकी संपत्ति में लगातार असामान्य तरीके से वृद्धि देखने को मिली है।
उनके पास कई बेशकीमती संपत्तियां, उनके पारिवारिक सदस्य सहित रिश्तेदारों के नाम पर खरीदी गई है। इसके लिए राज्य ओबीसी आयोग के चेयरमैन द्वारा 2003 से 2011 के बीच चुनाव आयोग को संपत्तियों की जानकारी दी गई याचिका को भी प्रस्तुत किया गया था। वही याचिका में कहा गया कि अधिकारियों को शिकायत देने के बाद भी कोई गंभीर कार्रवाई नहीं होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। हालांकि इस मामले में राज्य ओबीसी आयोग के चेयरमैन की ओर से वरिष्ठ वकील रवि अग्रवाल और स्वप्निल गांगुली ने कहा कि इस मामले में दो बार जांच की जा चुकी है लेकिन आरोप साबित नहीं हुए हैं।
इससे पहले पूर्व विधायक ने जनहित याचिका में आरोप लगाया था कि राज्य ओबीसी आयोग के अध्यक्ष द्वारा अपनी पुत्री के नाम पर पुणे में ₹50 लाख का फ्लैट खरीदा गया है। इसके अलावा बालाघाट में ढाई करोड़ रुपए की जमीन खरीदी गई है। साथ ही पत्नी के नाम पर 91 लाख की जमीन खरीदी गई है। जबकि सात करोड़ पर की कृषि भूमि के अलावा मदरसा के पास 5 एकड़ जमीन खरीदी की गई है। जिस पर हाईकोर्ट ने जून 2014 में आदेश पारित किया था और रजिस्ट्री को याचिका की प्रति लोकायुक्त देने के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को शिकायत की जांच करने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। वहीं हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य ओबीसी आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को याचिका पर सुनवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद मार्च 2017 में हाईकोर्ट ने नए सिरे से इस मामले की सुनवाई शुरू की थी। अब एक बार फिर से हाईकोर्ट ने राज्य ओबीसी आयोग के अध्यक्ष के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति को लेकर विधिवत जांच के निर्देश दे दिए हैं।