जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP high court) ने एक बार फिर से कर्मचारी (Employees) के हित में बड़ा फैसला लिया है। दरअसल राज्य शासन को निर्देश देते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को नियम अनुसार द्वितीय और तृतीय क्रमोन्नति (promotion) का लाभ दिया जाए। साथ ही हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब कर्मचारियों को द्वितीय और तृतीय क्रमोन्नति का लाभ मिलेगा।
दरअसल हाईकोर्ट में केसीएस कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कटनी की प्रभारी प्राचार्य गायत्री सोनी की तरफ से याचिका दायर की गई थी। जिस पर उनके वकील शंकर प्रसाद सिंह ने अपना पक्ष रखा। याचिकाकर्ता की तरफ से दलील देते हुए वकील ने कहा कि 24 जून 1986 को याचिकाकर्ता उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर नियुक्त हुई थी। 2002 में उन्हें पहली क्रमोन्नति का लाभ दिया गया था। याचिकाकर्ता द्वारा 35 वर्ष की सेवा पूरी कर ली गई है लेकिन अब भी उन्हें द्वितीय और तृतीय क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया गया है।
जबकि राज्य शासन द्वारा इसके लिए परिपत्र जारी किया जा चुका है। वहीं विभागीय स्तर पर आवेदन देने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में नगर निगम को नोटिस जारी किया था। जिसमें जवाब आने के बाद आदेश को पारित कर दिया गया है। साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका का पटाक्षेप करते हुए निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता को नियम अनुसार द्वितीय और तृतीय क्रमोन्नति का लाभ दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि आवेदनकर्ता को नियम अनुसार अनुकंपा नियुक्ति देने पर विचार करें। बता दे कि याचिका सिवनी निवासी रामलोचन विश्वकर्मा की ओर से दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने अदालत में दलील पेश की। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पिता शिक्षक थे। सेवा के दौरान उनका निधन हो गया था। उस समय आवेदक नाबालिक था।
याचिकाकर्ता के बालिग होने पर आवेदन किया गया लेकिन आवेदन को दरकिनार करते हुए उसे अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की गई जबकि शासन द्वारा बालिग होने पर अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान है। अब हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर राज्य शासन को विचार करने के लिए कहा है।