नर्मदापुरम/होशंगाबाद, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार कर्मचारियों (Madhya Pradesh Corruption Employees) के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश सीएम शिवराज (CM Shivraj) द्वारा दिए गए हैं। वहीं नर्मदापुरम होशंगाबाद वन मंडल में लाखों रूपए के भ्रष्टाचार (corruption) का मामला सामने आया है। इस मामले में परिक्षेत्र अधिकारी पर कम मात्रा में औषधि बीज प्राप्त कर उसे अधिक मात्रा बताकर घोटाला किया गया है। वही होशंगाबाद वनमण्डल में यह घोटाला वर्ष 2019 में बाह्य औषधि रोपण योजना के अंतर्गत हुई है। इस योजना में नर्मदापुरम पीएफ 30 और 31 सहित बानापुरा परीक्षेत्र के लिए रोपण सामग्री हेतु 46000 की राशि स्वीकृत की गई थी।
हालांकि खुलासे के मुताबिक भारतीय वन सेवा के तत्कालीन वन मंडल अधिकारी होशंगाबाद अजय कुमार पांडे द्वारा नियम को ताक पर रखकर 17 लाख 64 हजार रुपए की रोपण सामग्री की खरीदी की बात सामने आई है। वही अब इस मामले में भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है।
इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि वन विभाग के इतिहास में यह सबसे बड़ी बीज खरीदी भ्रष्टाचार है। जिसमें बिना परीक्षेत्र अधिकारी की मांग के आवश्यकता से अधिक खरीदी, बिना क्रय समिति के अनुमोदन कराए, और मनमर्जी की दर पर खरीदी बिल कार्यालय से बनवा कर गुपचुप तरीके से आदिवासियों के लाभांश की राशि को हड़पा गया है।
खुलासे में चौंकाने वाली बात सामने आई है। जिसमें खरीदी में 9 लाख 22 हजार रुपए मूल्य के आमा हल्दी खरीदे जाने का मामला भी सामने आया है। आरोप लगाते हुए नर्मदापुरम मध्यप्रदेश के सेवानिवृत उप संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि यदि इन बीज खरीदी से कालमेघ, अश्वगंधा के बीज बोए गए होते तो गिलोय, आम हल्दी, एलोवेरा आदि से 5 महीने के उपरांत इतनी ही रकम अवश्य प्राप्त होते हैं। लेकिन फर्जी बिलों के माध्यम से बड़ा घोटाला करने की वजह से अजय कुमार पांडे भारतीय वन सेवा तत्कालीन वन मंडल अधिकारी होशंगाबाद पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
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इतना ही नहीं नर्मदापुरम मध्य प्रदेश के सेवानिवृत उप वन संरक्षक, मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक और बल प्रमुख भोपाल के वन मंडल अधिकारी द्वारा 50000 से अधिक मूल्य के बीज ना खरीदने के निर्देश का भी उल्लंघन किया गया है। जिसके बाद वन मंडल अधिकारी स्तर पर इतने बड़े अनावश्यक औषधि बीज खरीदी कर व्यापक तौर पर भ्रष्टाचार किया जाना भारी भ्रष्ट्राचार को दर्शाता है।
वहीं इस मामले में राज्य शासन द्वारा 5 जनवरी 2022 को जांच के लिए गठित 2 सदस्य टीम द्वारा जांच भी पूरी की जा चुकी है। गठित 2 मुख्य वन संरक्षक की टीम द्वारा जांच पूरी की जाकर जांच रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल मध्यप्रदेश को दिसंबर 2021 एवं मार्च 2022 में भेजी जा चुकी है, जिसमे मुख्य रूप से 17 लाख 63 हजार 400 रुपए मूल्य का बीज घोटाला एवम फर्जी डायरी लिखा जाना मुख्य रूप से उल्लेखित है। जो वन क्षेत्र वन मंडल होशंगाबाद का वन क्षेत्र ही नही है। उसका बीट निरक्षण जो सुकतवा परिक्षेत्र का दर्शाकर झूठा भ्रमण दर्शाया गया है एवं मुख्य वन संरक्षक होशंगाबाद के साथ सुकतवा वन परिक्षेत्र का भ्रमण लिखा गया है जबकि मुख्य वन संरक्षक होशंगाबाद उस दिनांक को अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक भागवत सिंह के साथ हरदा वन मंडल के प्रवास पर थे।
इसके अलावा भी वन परिक्षेत्र अधिकारियों , उपवनमंडल अधिकारी की डायरी एवम अजय कुमार पांडेय की डायरी में भिन्नता पाई गई है, जो अजय कुमार पांडेय के फर्जी कार्य को प्रमाणित करता है। मधुकर चतुर्वेदी ने विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए प्रमुख सचिव वन से निवेदन किया है कि भ्रष्टाचार की जांच के लगभग 2 वर्ष हो जाने के उपरांत भी प्रकरण में अजय कुमार पांडे को निलंबित नहीं किया गया है बल्कि 1 जनवरी 2022 से वन संरक्षक के पद पर पदोन्नत भी कर दिया गया है। जिसमें इनके उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं अन्य विभागीय अधिकारी जिनके पास अजय पांडे पूर्व में काम कर चुके हैं। उनका सहयोग स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है।जो भ्रष्टाचारी अजय कुमार पांडे को संरक्षण प्रदान किए हुए हैं।
साथ ही भ्रष्टाचार की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा गया है कि नर्मदापुरम वन मंडल में वर्ष 2019 में शुभांसु एग्रो हर्बल केसला जिला नर्मदापुरम को सुखतवा परिक्षेत्र में Rs. 881700 /- ओर बानापूरा परिक्षेत्र मे बीज प्रदाय करने हेतू Rs. 881700 /- का भुगतान किया गया है परंतु बिल में दर्शाई गयी मात्रा, जिसका भुगतान किया गया है। उस मात्रा को बढ़ा-चढ़ाकर लाखों रुपये का घोटाला किया गया है।
जिसमें आमा हल्दि के 13200 kg ( 13,2 टन ) कन्द की जगह मात्र 13, 13 छोटी बोरियों में लिया गया जिसके लिए ( जो लगभग 600 kg होगा ) 13200 kg का भुगतान Rs. 462000 /- का कराया गया था। इस प्रकार दोनों परिक्षेत्र अधिकारी ने प्रत्येक Rs. 440000 /- रुपये का घोटाला किया गया है। जिसके लिये दोनों तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी सुखतवा एवं बानापुरा को निलंबित कर दंडात्मक कार्यवाही करने की मांग की गई। साथ ही उन्हें सेवा पद से बर्खास्त करने की मांग भी की गई है।