नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। राज्य के कर्मचारियों (Employees) को छठे वेतनमान (6th pay commission) का लाभ देने का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) पहुंच गया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की जा रही है। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इससे पहले प्रदेश उच्च न्यायालय ने छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के निर्देश दिए थे। जिस के आदेश पर विरोध देखा जा रहा है।
याचिका दायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय से अपील की थी कि राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई न की जाए। इस मामले में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और ए एस बोपन्ना ने राज्य के मुख्य सचिव को अंतरिम राहत दी थी और मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई टालने का अनुरोध किया था।
अब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में कहा गया कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय द्वारा दिसंबर 2021 में आदेश पारित किया गया था। जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार को जनवरी 2022 से शुरू होने वाली तीन मासिक किस्तों में राज्य के न्यायिक कर्मचारियों को भी बकाए वेतन का भुगतान किया जाना होगा। वहीं राज्य के न्यायिक कर्मचारियों को भी छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार लाभ देने के निर्देश दिए गए थे।
इस मामले में कार्रवाई नहीं करने पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू कर दी थी। मामले को उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने कहा था कि छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिश का लाभ न्यायपालिका के कर्मचारियों को दिया जाता है। राज्य में भी ऐसी ही व्यवस्था लागू होनी चाहिए। साथ ही उच्च न्यायालय ने समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत को लागू करते हुए राज्य के उच्च न्यायालय के कर्मचारियों को भी सामान लाभ देने के निर्देश दिए थे।
जिस पर इसे चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने रिट अपील दायर की थी। 21 दिसंबर 2021 को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और न्यायमूर्ति एस जी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित किया। जिसमें राज्य को 1 जनवरी 2006 से एकलपीठ न्यायाधीश के निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया गया था।
जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। वहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दलील पेश की गई। जिसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय त्रिपुरा सेवा नियुक्ति सेवा की शर्तों और आचरण नियम 2014 के नियम 16 का उल्लेख किया गया। जिसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय के कर्मचारियों का वेतनमान राज्य सरकार के कर्मचारियों के बराबर होगा जबकि राज्य सरकार के कर्मचारियों को अभी तक छठे वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया गया है।
ऐसे में उच्च न्यायालय के कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं दिया जा सकता है। इतना ही नहीं अधिवक्ता ने यह भी संकेत दिया है कि उच्च न्यायालय के निर्देशों से राज्य के खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा जिससे वित्तीय स्थिति डगमगाने की संभावना है। वही अब सुप्रीम कोर्ट मैं याचिका की सुनवाई हो रही है। जिस पर विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले अनुसार कर्मचारियों को नए वेतनमान का लाभ दिया जाएगा।