7 लाख पेंशनर्स को राहत देने की तैयारी में शिवराज सरकार, तैयार होगा मसौदा

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में शिवराज सरकार (shivraj government) पेंशनरों (pensioners) को बड़ी राहत देने जा रही है। दरअसल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ के 7 लाख पेंशनर के महंगाई राहत (dearness relief) जैसे मामले जल्दी निपटा सके। इसके लिए राज्य सरकार विलीनीकरण की धारा 49 (Section 49 of amalgamation) खत्म करने की तैयारी में है। इसके लिए वित्त विभाग (finance department) द्वारा कैबिनेट में मसौदा (draft in cabinet) लाने की तैयारी की जा रही है। धारा 49 के खत्म होने के बाद पेंशनरों के महंगाई राहत जैसे मामले 6 महीने से लेकर साल भर तक नहीं अटक पाएंगे।

दरअसल शिवराज सरकार द्वारा निर्देश मिलने के बाद वित्त विभाग द्वारा पेंशनर के महंगाई राहत विलीनीकरण की धारा 49 को खत्म करने के लिए मसौदा तैयार किया जा रहा है। कैबिनेट (cabinet) में प्रस्ताव का अनुमोदन होने के बाद इसे विधानसभा में लाया जाएगा। इस मामले में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा (jagdish devda) ने संकेत दिए हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ 2000 में अलग हो चुका है। बावजूद इसके राज्य पुनर्गठन की अनुशंसा अनुसार बंटवारे के दौरान विलीनीकरण की धारा 49 बनाई गई थी। जिसके मुताबिक दोनों राज्य के पेंशनर के मामले का निराकरण परस्पर सहमति से किया जा रहा था।

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वही अब इन धाराओं की वजह से पेंशनर को मिलने वाली महंगाई राहत की 80 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश और 20 प्रतिशत राशि छत्तीसगढ़ देता है। जिसके बाद ही महंगाई राहत के मामले का निराकरण होता है लेकिन दोनों राज्यों के बीच कर्मचारी भविष्य निधि के मामले में लगातार दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जहां मध्यप्रदेश को इस साल 140 करोड़ रुपए का भुगतान छत्तीसगढ़ को करना पड़ा है।

अब ऐसी स्थिति में विलीनीकरण की धारा 49 को खत्म करने की तैयारी की जा रही है। जिससे कर्मचारियों के मामले 6 महीने से 1 साल तक ना अटके और उन्हें समय पर भुगतान किया जा सके। बता दें कि इससे पहले सातवें वेतनमान का 27 महीने का एयर का भुगतान किया जाना है। इस मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है। वहीं यह राशि पेंशनर के खाते में 4 लाख रुपय तक के बीच आनी है। वही जब तक दोनों राज्यों द्वारा पेंशनर के मामले में सहमति ना बनती हो तब तक पेंशनरों को डियर का भुगतान नहीं किया जाता है। जिससे उनके मामले लंबित हो जाते हैं। धारा 49 के हटने से कर्मचारियों को इसमें राहत मिलेगी।


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