भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। किसानों के हित में लगातार प्रयासरत रहने वाली मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) की सरकार अन्नदाता (farmers) के लिए बड़ी तैयारी कर रही है। मध्य प्रदेश के किसानों को योजना का लाभ मिलता रहे और उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े। इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों के हित में उद्यानिकी विभाग (Horticulture Department) ने बड़ा फैसला लिया है।
दरअसल उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित केंद्र और राज्य की सभी योजनाओं में अनुदान सहायता की राशि (grant-in-aid) को अब सीधे हितग्राही किसानों के बैंक खाते (bank account) में भुगतान किया जाएगा। इतना ही नहीं इसके साथ निजी कंपनियों (private firm) से सामान खरीद किसानों को दिए जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। दरअसल इसमें विभाग का कहना है कि निजी कंपनियों से गठजोड़ कर कई अधिकारी कर्मचारी कमीशनखोरी (commissioning) के काम में लगे हुए हैं। जिन पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। इस संबंध में विभाग ने संबंधित अधिकारी को निर्देश जारी कर दिए हैं।
वही अब केंद्र और राज्य पोषित योजना में अनुदान सहायता की राशि कोषालय के माध्यम से सीधे हितग्राही अन्नदाता के बैंक खाते में भुगतान की जाएगी। किसान द्वारा बैंक के माध्यम से लोन (loan) लेकर कार्य पूरा करने के बाद किसान के खाते में अनुदान भुगतान किया जाएगा। जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ ना बढ़े। इसके अलावा किसानों को अपने अंश की राशि सहित फर्म को देने वाली प्रमाण पत्र जैसे आरटीजीएस एनईएफटी बैंक ड्राफ्ट की छाया प्रति जिला कार्यालय में जमा करानी होगी। जिसके बाद ही अनुदान का भुगतान किया जाएगा।
सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Prime Minister’s Agriculture Irrigation Scheme) की समीक्षा बैठक में कोई प्रगति ना देखने के बाद विभाग द्वारा यह फैसला लिया गया है। वहीं जिन योजनाओं पर यह नियम लागू होंगे, उनमें बागवानी, विकास मिशन, कृषि कृषि विकास योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय औषधीय पौधा मिशन आदि योजनाएं शामिल रहेगी।
एक तरफ जहाँ संबंधित अधिकारी कर्मचारियों के नीचे कंपनियों से सामग्री खरीद कर किसानों को बेचे जाने पर प्रतिबंध लगाने वाले विभाग का कहना है कि इस नियम में योजना की पूर्ण लागत पहले ही किसानों (farmers) को वहन करनी पड़ती है जबकि हितग्राही किसान योजना लागत की पूरी राशि वहन करने में सक्षम नहीं होते हैं। इसके अलावा किसान अंश की राशि की व्यवस्था भी बमुश्किल ही समय पर पूरी कर पाते हैं, जिसको देखते हुए इस नियम पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।