रांची, डेस्क रिपोर्ट। राज्य के कर्मचारियों (Employees) के लिए अच्छी खबर है। कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में पुरानी पेंशन योजना (Old pension scheme) को लागू करने की मंजूरी दे दी गई है। पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मंजूरी देने के साथ ही 3 सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है। दरअसल सीएम (CM) द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का वादा किया गया था। शासकीय कर्मचारियों की लंबी मांग के बाद चुनावी वादे को पूरा करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर कैबिनेट की मुहर लगा दी गई है। इससे राज्य के एक लाख से अधिक शासकीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
मंत्रि-परिषद ने वर्तमान नवीन अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना को सैद्धांतिक सहमति देते हुए विकास आयुक्त, झारखण्ड की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। समिति के अन्य सदस्य में वित्त सचिव और कार्मिक सचिव शामिल हैं।
कैबिनेट सचिव वंदना डडेल ने कहा कि सदस्यीय समिति योजना के क्रियान्वयन के लिए SOP का मसौदा तैयार करेगी। जिसके बाद इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में पेश किया जाएगा। बता दें कि पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 को बंद कर दिया गया था। इसकी जगह पर केंद्र की राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को पेंशन के लिए शुरू किया गया।
वहीँ पुरानी पेंशन योजना के तहत जिन राज्य कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया अप्रैल 2004 से पहले की गई थी, लेकिन अगर उनका योगदान 1 दिसंबर 2004 के बाद किया जाता है, तो उन्हें अब पुरानी पेंशन योजना लेने का विकल्प मिलेगा।
हालांकि सीएम के निर्देश पर वित्त विभाग द्वारा पुरानी पेंशन बहाल करने की स्थिति में लाभ और हानि के आकलन से संबंधित प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। पुरानी पेंशन योजना के लिए राज्य सरकार छत्तीसगढ़ का मॉडल अपना रही है। इससे पहले झारखंड सरकार द्वारा बजट सत्र में पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान किया गया था वही झारखंड मुक्ति मोर्चा के चुनावी एजेंडे में OPS को शामिल किया गया था।
पुरानी पेंशन योजना के लाभ
- सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) सुविधा
- पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं
- सेवानिवृत्ति पर निश्चित पेंशन यानि अंतिम वेतन पर 50% गारंटी
- पूरी पेंशन सरकार देती है
- सेवा के दौरान मृत्यु होने पर आश्रित को मिलती है पारिवारिक पेंशन और नौकरी
नई पेंशन योजना (एनपीएस)
- कोई सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) सुविधा नहीं है
- वेतन से 10 प्रतिशत प्रति माह काटा जाता है
- निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है। यह पूरी तरह से शेयर बाजार और बीमा कंपनियों पर निर्भर होगा