Sun, Dec 28, 2025

विवाह पंचमी 2021 : जानिए 8 दिसंबर का महत्व, बन रहे शुभ संयोग

Written by:Atul Saxena
Published:
Last Updated:
विवाह पंचमी 2021 :  जानिए 8 दिसंबर का महत्व, बन रहे शुभ संयोग

धर्म, डेस्क रिपोर्ट। हिन्दू धर्म में मार्गशीर्ष महीने की पंचमी तिथि का बहुत महत्व है। रामायण और रामचरित मानस के अनुसार आज ही दिन यानि मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान राम और माता जानकी (सीता) का विवाह हुआ था, इसे विवाह पंचमी कहते हैं (Vivah Panchami) इस साल ये तिथि 8 दिसंबर यानि आज बुधवार को पड़ रही है। विशेष बात ये है कि इस दिन कई शुभसंयोग भी बन रहे हैं।

विवाह पंचमी 8 दिसंबर 2021 को इस बार श्रवण नक्षत्र, शुक्र संक्रांति, रवि योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन भगवान राम और माता सीता की युगल जोड़ी की पूजा करने से मन को शांति मिलती है और गृहस्थ जीवन में आनंद मिलता है।

ये भी पढ़ें – पैनकार्ड गुम गया, फिक्र न करें, इन आसान स्टेप्स से डाउनलोड करें ई पैनकार्ड ।

शुक्र संक्रांति 

विवाह पंचमी के दिन आज 8 दिसंबर को शुक्र का राशि परिवर्तन हो रहा है इसे शुक्र संक्रांति कहते हैं।  इस दिन शुक्र मकर राशि में आकर शनि और चन्द्रमा के साथ मिलकर त्रिगृही योग बनाएंगे।

ये भी पढ़ें – Gold Silver Rate : चांदी की कीमत में उछाल, सोना मिल रहा पुराने रेट पर

श्रवण नक्षत्र 

8 दिसंबर विवाह पंचमी के दिन इस बार श्रवण नक्षत्र का भी शुभ योग है। विशेष बात ये भी है कि इस बार पंचमी पर ध्रुव नामक योग भी बना है।  नक्षत्र और योग के संयोग को बहुत शुभ योग माना जाता है। मान्यता है कि नक्षत्र और योग का संयोग शुभकार्यों के लिए फलदायी होता है। इस संयोग में कोई गुरुमंत्र लेता है या कोई नया काम शुरू करता है, संपत्ति खरीदता है तो बहुत शुभ माना जाता है।

ये भी पढ़ें – Indian Railways: IRCTC ने यात्रियों को दी बड़ी सुविधा, बोर्डिंग नियम में बदलाव, देखें डिटेल्स

रवि योग 

इस बार विवाह पंचमी पर 8 दिसंबर को रवि नामक योग भी पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को बहुत से अशुभ योगों के प्रभाव को नष्ट करने वाला बताया गया है। ऐसे में इस योग में आप कोई नया कारोबार, नई साझेदारी , कोई अनुष्ठान अदि करते हैं तो ये शुभ फलदायी होता है।

विवाह पंचमी पर माता पिता नहीं करते बेटी की शादी 

धार्मिक मान्यताओं में आस्था रखने वाले बहुत से लोग विवाह पंचमी पर अपनी बेटी का विवाह नहीं करते।  उनका मानना है कि राजा जनक ने अपनी बेटी जानकी (सीता) का विवाह इस तिथि विवाह पंचमी पर किया था और सीता जी ने अपने गृहस्थ जीवन में बहुत कष्ट उठाये।  भगवान राम से हमेशा उनका वियोग ही रहा।  इसलिए बहुत से माता पिता विवाह पंचमी तिथि पर बेटी की शादी नहीं करते।