पीएम मोदी द्वारा किसान सम्मान निधि की किस्त जारी करने के बाद कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा ‘ये किसानों का वैध अधिकार’

जयराम रमेश ने कहा कि पीएम किसान निधि की 17वीं किस्त अप्रैल/मई 2024 में मिलने वाली थी, लेकिन आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इसमें देरी हुई। ऐसे में एक तिहाई प्रधानमंत्री ने इस फ़ाइल पर हस्ताक्षर करके किसी पर बहुत बड़ा उपकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यदि वह वास्तव में किसानों के कल्याण को लेकर चिंतित होते तो किसान हित में कुछ और फ़ैसले भी लेते।

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Congress on PM Kisan Samman Nidhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार कार्यकाल सँभालने के बाद सबसे पहले पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी की। सोमवार सुबह उन्होंने किसान सम्मान निधि योजना की फाइल पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत बीस हज़ार करोड़ रूपये वितरित किए जाएँगे जिससे 9.3 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे। इसके बाद कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी ने सामान्य और नियमित रूप से होने वाले प्रशासनिक निर्णयों को लोगों को दिए जाने वाले बड़े उपहार के रूप में प्रचारित करने की आदत बना ली है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि अगर पीएम मोदी को वाक़ई किसानों की चिंता होती तो वो उनके हित में कुछ और कदम भी उठाते।

‘ये राशि किसानों का वैध अधिकार’

जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा है कि ‘एक तिहाई प्रधानमंत्री का हेडलाइन मैनेजमेंट और PR अभियान तीसरे कार्यकाल के पहले दिन से फिर शुरू हो गया है। इस बात को लेकर ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि उन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद पहली फ़ाइल पर हस्ताक्षर पीएम किसान निधि की 17वीं किस्त प्रदान करने के लिए किया है। लेकिन आप जरा क्रोनोलॉजी समझिए कि पीएम किसान निधि की 16वीं किस्त जनवरी 2024 में मिलने वाली थी, लेकिन प्रधानमंत्री को चूँकि चुनावी लाभ लेना था, इसलिए इसमें एक महीने की देरी हुई। पीएम किसान निधि की 17वीं किस्त अप्रैल/मई 2024 में मिलने वाली थी, लेकिन आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इसमें देरी हुई। ऐसे में एक तिहाई प्रधानमंत्री ने इस फ़ाइल पर हस्ताक्षर करके किसी पर बहुत बड़ा उपकार नहीं किया है: ये उनकी सरकार की अपनी ही नीति के मुताबिक़ किसानों के वैध अधिकार हैं। उन्होंने सामान्य और नियमित रूप से होने वाले प्रशासनिक निर्णयों को लोगों को दिए जाने वाले बड़े उपहार के रूप में प्रचारित करने की आदत बना ली है। ज़ाहिर है, वह अब भी ख़ुद को जैविक नहीं, बल्कि दैवीय शक्ति मानते हैं।’

‘किसान हित में लें ये फैसले’

उन्होंने कहा कि ‘यदि वह वास्तव में किसानों के कल्याण को लेकर चिंतित होते, तो वह ये पांच चीज़ें करते, पहली⁠ ⁠सही दाम – एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन फॉर्मूले वाली। दूसरा ⁠कर्ज़ मुक्ति – क़र्ज़ माफ़ी प्लान प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए परमानेंट आयोग।⁠ तीसरा बीमा भुगतान का सीधा ट्रांसफ़र – फ़सल नुक़सान पर 30 दिन के अंदर सीधे खाते में पैसा ट्रांसफ़र। चौथा उचित आयात-निर्यात नीति – किसानों के सलाह से नई इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी। ⁠पाँचवा जीएसटी-मुक्त खेती – किसानी के लिए ज़रूरी हर चीज़ से जीएसटी हटाना’।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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