भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। निकाय चुनाव (Urban Body Election) और बजट सत्र 2021 (Budget session 2021) से पहले मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में अलग विंध्य प्रदेश बनाने की मांग (Vindhya Pradesh demand) ने जोर पकड़ रखा है। हमेशा अपने बयानों से पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने वाले मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी (BJP MLA Narayan Tripathi) इस मांग को लेकर लगातार पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे है। खबर है कि जल्द ही प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा, जिसका कार्यक्रम तैयार हो चुका है। वही 22 फरवरी से MP विधानसभा (MP Assembly) का बजट सत्र भी शुरु होने वाला है, ऐसे में यह आंदोलन पार्टी की मुश्किलें बढा सकता है।
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हाल ही में बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी (BJP MLA Narayan Tripathi) ने रीवा में एक प्रेसवार्ता कर इसका ऐलान भी किया था। उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में एक बड़ा जन आंदोलन करेंगे। अलग विंध्य प्रदेश बनाए जाने को लेकर छात्र-छात्राओं से भी चर्चा करेंगे, जिससे इस मांग को मजबूती मिल सके।खबर है कि नारायण त्रिपाठी ने विंध्य के सभी जिलों में सभाएं और संवाद का कार्यक्रम तय कर लिया है, जल्द ही इसे एक बड़े जन आंदोलन का स्वरुप दिया जाएगा।इसको लेकर विधायक लगातार सतना, रीवा और सीधी में जगह-जगह बैठक कर रहे हैं। साथ ही वह जन समर्थन भी जुटाने में लगे हैं।
इसका ट्रेलर हाल ही में देखने को मिला था जब बुधवार को 300 से ज्यादा कारों का काफिला लेकर सीधी (Sidhi) जिले के चुरहट पहुंचे थे।इसके बाद से ही सियासी गलियारों में हलचल तेज है।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP state president VD Sharma) ने खुद त्रिपाठी को कार्यालय बुलाकर पार्टी लाइन से हटकर ना चलने की हिदायत दे चुके है। बावजूद त्रिपाठी ने अलग विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर संघर्ष करने की तैयारी कर ली है। वही कांग्रेस भी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले इस मुद्दे को लपकते हुए बीजेपी और शिवराज सरकार पर हमलावर है।
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विधायक के इस आंदोलन ने बीजेपी में खलबली का माहौल है, पार्टी नेता लगातार विधायक को मनाने में जुटे है। अगर यह आंदोलन और विरोध तेज होता है तो इसका असर नगरीय निकाय और बजट सत्र पर पड़ना निश्चित है।वही रीवा के पूर्व भाजपा विधायक लक्ष्मण तिवारी (Laxman Tiwari) और अजय विश्नोई (Ajay Vishnoi) भी विंध्य और महाकौशल को नजरअंदाज करने को लेकर नाराजगी जता चुके है।
गौरतलब है कि यह मांग पहली बार नहीं उठ रही है । इससे पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है। 1 नवंबर 1956 को जब मध्यप्रदेश का गठन (Constitution of Madhya Pradesh) हुआ था, तभी से अलग विंध्य प्रदेश बनाए जाने की मांग जारी है। यह छह दशकों से अलग विंध्य प्रदेश (Vindhya Pradesh) बनाने की मांग की जा रही है, हालांकि हर बार मामला ठंडा हो जाता है। अब देखना है कि दिलचस्प होगा कि इस साल इस मांग को पूरा किया जाता है या यूं ही मान मनौव्वल के बाद मामला हवा हो जाता है।