भोपाल। विधानसभा चुनाव में सत्ता पाने से चूकी बीजेपी अब लोकसभा चुनाव में कोई गलत कदम नहीं उठाएगी। पार्टी के जिम्मेादीर उम्मीदवार के चयन को लेकर अभी से सतर्कता बरत रहे हैं। शीर्ष नेताओं की ओर से मिले संकेत से तो कुछ ऐसा ही समझ आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में हुई लोकसभा चुनाव को लेकर बैठक में इस बात की समझाइश दी गई है कि दावेदारों को पार्टी हित में विशेष स्थिति आने पर दिल बड़ा रखने का अनुरोध भी किया गया है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से करीब 30 सीटों पर टिकट का गणति गड़बड़ा गया था। हार का मंथन करने के बाद ये बात सामने आई थी कि अगर टिकट वितरण में रायशुमारी की गई होती तो नतीजे कुछ और भी हो सकते थे। इसलिए अब पार्टी किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं है। नेताओं ने बैठक में साफ संकेत दे दिये हैं कि सिर्फ जीताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा। कसभा चुनाव से पहले भाजपा संगठन इन खामियों की वजह को खत्म कर एक नए जोश के साथ चुनाव लड़ना चाहती है। सूत्रों की माने तो संभागीय स्तर पर हर बैठक के पीछे हो रही गुप्त बैठकों में इस आशय की चर्चा की जा रही है। सूत्रों के अनुसार नई बैठकों में भाजपा की रणनीति नेताओं को साधने, समझाने और जुझारू प्रत्याशी के चयन की दिशा में काम कर रही है। इस बात को एक बार फिर वजन दिया जा रहा है कि लोकसभा की टिकट में कोई समझौता नहीं करके केवल जीतने वाले प्रत्याशी को ही टिकट दिया जाएगा।
विस चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए की गई रायशुमारी को दरकिनार रखते हुए टिकटों का आवंटन किया गया था। जिसके परिणाम स्वरूप की उपेक्षित दावेदारों ने बागी होकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाया था। इस बार पार्टी ऐसी कोई गलती करने के मूड में नहीं है। उम्मीद की जा रही है कि विस चुनाव में संगठन के कई फैसलों से हतोत्साहित कार्यकर्ता पार्टी के मौजूदा बैठकों में हो रहे निर्णयों से पुन: उत्साहित होंगे जिसका परिणाम लोकसभा चुनाव में पार्टी की सफलता का सबब बनेगा।
उम्मीद यह भी की जा रही है कि लोस चुनाव से पहले संगठन में जरूरतों के हिसाब से आवश्यक परिवर्तन हो सकते हैं। वहीं चुनाव प्रभारी के रूप में नए जुझारू कार्यकर्ताओं को आजमाया जा सकता है। समझा जा रहा है कि ये परिवर्तन न केवल चुनावी गतिविधियों में नई जान फूंकेगा बल्कि इससे पुरानी गलतियों की खाईयों को पाटते हुए नए ‘िाम्मेदार नई ऊर्जा के साथ काम कर सकेंगे।