गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता..सवा दो लाख पेड़ बचाना भी हमारा काम होता

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) पर्यावरण को लेकर संवेदनशील नजर आते हैं। उनके ऑफिशियल ट्विटर पेज पर अक्सर उनके द्वारा किये जाने वाले पौधारोपण को लेकर खबर और तस्वीरें होती हैं। शुक्रवार को भी सीएम ने भोपाल के स्मार्ट पार्क में गुलमोहर का पौधा लगाया।

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पौधारोपण के साथ संदेश दिया गया है कि “गुलमोहर अतिसार या दस्त, खून की कमी, पीलिया एवं मधुमेह आदि में लाभप्रद होता है। आपसे भी आग्रह है कि अंकुर कार्यक्रम से जुड़कर पौधरोपण कीजिये और प्रदेश की धरती को हरा-भरा व समृद्ध बनाने में योगदान दीजिये। #OnePlantADay

उधर छतरपुर के बक्स्वाहा (Bakswaha) में हीरा खदान (Diamond mine) के लिए 4 लाख से अधिक पेड़ (Tree) काटे जाने का जिक्र था। वन विभाग द्वारा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को सौंपी गई उत्खनन क्षेत्र की सर्वे रिपोर्ट में बाद में काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या 4 लाख से 2.15 लाख कर दी गई। पेड़ों की कटाई रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई है। इसी के साथ पर्यावरण प्रेमियों ने चेतावनी दी है कि कोरोना संक्रमण के काबू में आते ही वो यहां चिपको आंदोलन भी चलाएंगे। 9 मई को देशभर की 50 संस्थाओं ने इस मुद्दे पर वेबीनार किया और रणनीति तैयार की। सोशल मीडिया पर पहले ही सेव बक्स्वाहा फॉरेस्ट कैंपेन चल रहा है, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जा रहे हैं। बता दें कि हीरा खदान के लिए 62.64 हेक्टेयर जंगल चिन्हित किया गया है और बिड़ला ग्रुप को यहां हीरा उत्खनन की जिम्मेदारी दी गई है। बीस साल पहले हुए सर्वेक्षण के मुताबिक यहां 3.42 करोड़ कैरेट हीरा मिलने का अनुमान है। लेकिन सवाल ये है कि सवा दो लाख पेड़ों की कीमत पर इन हीरों का आखिर कितना मोल है।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हम सभी ने देखा कि ऑक्सीजन को लेकर कितनी मारामारी रही। जब दुनिया को एक बार फिर प्रकृति की ओर लौटने तथा अधिक से अधिक पौधे रोपे जाने, पेड़ों का संरक्षण करने की जरूरत है..ऐसे में 2.15 लाख हरे पेड़ों को हीरे की खदान के लिए काट दिया जाना कितना आवश्यक है ? इस समय कई तस्वीरें है हमारे सामने..सवा दो लाख हरे पेड़, हीरे की खदान और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गुलमोहर का पौधरोपण। बैकग्राउंड में ये गीत बज रहा है-

गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता                                                                                      मौसम-ए-गुल को हंसाना भी हमारा काम होता


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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