Narmada Jayanti 2024 : आज नर्मदा जयंती है। नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी कहा जाता है। इसे लोग श्रद्धा से मां नर्मदा पुकारते हैं। इसका एक नाम रेवा भी है। आज इस अवसर पर सीएम मोहन यादव ने शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि ‘प्रवाहमयी जीवन का संकेत देती, विभिन्न सांस्कृतिक छटाओं और अनगिनत कल्पों की यात्रा को अपने में समेटे, पतित पावनी, पापनाशिनी, जीवनदायिनी, मां नर्मदा की जयंती पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं! अपनी आह्लादित लहरों से मध्यप्रदेश को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली मां नर्मदा की धारा, मध्यप्रदेश के विकास की धुरी है। मैया का आशीर्वाद हम सभी पर यूं ही अनवरत बरसता रहे एवं कल्पों तक मां रेवा की धारा सतत प्रवाहित होती रहे, यही प्रार्थना है।’
पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है नर्मदा नदी
नर्मदा जयंती पर प्रदेश भर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विशेषकर मां नर्मदा के घाटों पर बहुत ही धूमधाम रहती है। लोग विशेष पूजा अर्चना करते हैं..नर्मदा आरती होती है और इस पवित्र नदी में डुबकी लगाकर सद्कर्मों का आशीष मांगा जाता है। अमरकंटक से निकली नर्मदा नदी की एक बड़ी विशेषता ये है कि ये पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। भारत में नर्मदा और ताप्ती ही ऐसी दो नदिया हैं जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं। बाकी सभी अन्य प्रमुख नदियां पश्चिम से पूर्व की तरफ बहती हैं। पूर्व से पश्चिम दिशा में बहने के कारण नर्मदा नदी अन्य नदियों की तरह बंगाल की खाड़ी में ना मिलते हुए नर्मदा अरब सागर में जाकर मिलती है। नर्मदा को भारत की 5वीं सबसे लंबी और पश्चिम-दिशा में बहने नदी भी है।
नर्मदा की प्रेम कथा
नर्मदा नदी के उल्टा बहने का भौगोलिक कारण इसका रिफ्ट वैली में होना है। इसकी ढाल विपरीत दिशा में होती है और ये अरब सागर में जाकर मिलती है। लेकिन इस विपरीत दिशा में बहने को लेकर एक पौराणिक कथा भी है। ये है देवी नर्मदा की प्रेम कथा। कहानी के अनुसार नर्मदा और सोनभद्र (सोन नदी) में प्रेम था। ये बचपन के साथी थे। एक साथ अमरकंटक की वादियों में खेले और बड़े हुए यहीं इनका प्रेम भी प्रगाढ़ हुआ। इनका विवाह भी होने वाला था। लेकिन एक दिन नर्मदा की दासी जुहिला बीच में आ गई। सोनभद्र ने जुहिला को देखा तो उसके प्रति आकर्षित हो गए। जब नर्मदा को पता चला कि सोनभद्र उनकी दासी पर रीझ गए हैं उन्होने समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन सारे प्रयास असफल रहे। इसके बाद वो रुष्ट होकर विपरित दिशा में चल पड़ी और उन्होने हमेशा कुंवारी रहने की कसम भी खाई। पौराणिक कथा अनुसार इसीलिए नर्मदा नदी उल्टी दिशा में बहती है।
कहीं कल-कल बहती,
कहीं योगियों सी गंभीर।
कभी प्रचंड रूप धरे,
कभी संतों सी धीर।।प्रवाहमयी जीवन का संकेत देती, विभिन्न सांस्कृतिक छटाओं और अनगिनत कल्पों की यात्रा को अपने में समेटे, पतित पावनी, पापनाशिनी, जीवनदायिनी, मां नर्मदा की जयंती पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक… pic.twitter.com/rN7J6rAE5R
— Dr Mohan Yadav (Modi Ka Parivar) (@DrMohanYadav51) February 16, 2024