नगरीय निकाय चुनाव – उपचुनाव के बाद फिर टक्कर देने को तैयार कांग्रेस, BJP ने भी बनाया मास्टर प्लान

Pooja Khodani
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नगरीय निकाय चुनाव

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Elections) को लेकर कवायद तेज हो गई है। प्रदेश के 16 नगर निगमों में महापौर (Mayor) ,99 नगर पालिका और 292 नगर परिषदों के अध्यक्ष पद के आरक्षण (Reservation) का काम पूरा हो गया है, लिहाजा तारीखों का जल्द ही ऐलान होने की संभावना है। वही बीजेपी-कांग्रेस ने भी जीत के लिए अपनी अपनी रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है।खास बात ये है कि उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अब कोई रिस्क नही लेना चाहती है और बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है।

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एक तरफ जहां उपचुनाव(By-election) की जीत से गदगद बीजेपी (BJP) एक और किला फतह करने की तैयारियों में जुटी है।  इलेक्शन कैम्पेन (Election Campaign) की माहिर बीजेपी (BJP) आभार रैली (Abhar Rally) के बहाने नगरीय निकाय चुनाव प्रचार का आगाज़ करने जा रही है। 15 दिसंबर (December) के बाद कभी भी यह रैली शुरू हो जाएगी, इसे निकाय चुनाव में जीत के लिए बीजेपी का मास्टर प्लान माना जा रहा है। वही दूसरी तरफ हार से सबक लेकर कांग्रेस फिर कड़ी टक्कर देने को तैयार है। इसमें बुजुर्ग नेताओं (Elderly Leaders) को किनारे कर युवाओं (Youth) को आगे करने के साथ साथ कांग्रेस एक बार फिर स्थानीय मुद्दों को फोकस करने जा रही है। इसके लिए भोपाल (Bhopal) और इंदौर (Indore) जैसे बड़े शहरों को फ्रंट मे रखा गया है।

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महापौर की कुर्सी पर नजर गढ़ाए बैठी कांग्रेस निकाय चुनाव में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट (Metro Rail Project) को भुनाने की तैयारी में है।इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि अपने वचन पत्र में किए गए वादे के अनुसार पिछली कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए भूमि पूजन किया था और इसका काम भी शुरु हो गया था लेकिन बीजेपी के आते ही काम पर ब्रेक लग गया है।वही इंदौर के  फोरलेन एलिवेटेड रोड का भी मुद्दा भी जोर शोर से उठाने के आसार है, क्योंकि कांग्रेस सरकार में मंजूर एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को बीजेपी सरकार ने रोक दिया, पूरा प्रोजेक्ट साढ़े तीन सौ करोड़ का है।कांग्रेस का आरोप है कि मेट्रो प्रोजेक्ट के रूट के नाम पर लोगों को विस्थापित किया जा रहा है।बिना योजना के मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। वही बीजेपी का कहना है कि मेट्रो पर भी तेजी से काम चल रहा है ,प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है।

बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की आहट

नगरीय निकाय के लिए महापौर और अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद बड़ी प्रशासनिक सर्जरी  (Administrative surgery) चर्चा तेज है। ऐसे में माना जा रहा है कि जनवरी (January) में नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं, यदि ऐसा होता है तो 15 दिसंबर के बाद कभी भी आचार संहिता (Code Of Conduct) लग सकती है, इसके पहले बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की जा सकती है । सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan)  ने सभी जिलों से फीड बैक मांगा है।आने वाले दिनों में बालाघाट , ग्वालियर, सीधी , शहडोल , सीहोर, रायसेन, छतरपुर होशंगाबाद जिल के कलेक्टर बदले जा सकते हैं। कलेक्टर (Collector) के अलावा सरकार की नजर उन जिलों के वरिष्ठ अफसरों पर भी है जहाँ उपचुनावों में भाजपा को नुकसान हुआ था ।

महापौर का आरक्षण

प्रदेश के 16 नगर निगमों में महापौर पद के आरक्षण में आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। इंदौर और जबलपुर में महापौर का पद अनारक्षित रहेगा, यहां पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है। भोपाल और खंडवा पिछड़े वर्ग की महिला, मुरैना एससी समुदाय की महिला और सागर, बुरहानपुर, ग्वालियर, देवास और कटनी में महापौर पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किए गए हैं।

नगर पालिका के आरक्षण 

सामान्य वर्ग के लिए 53 नगर पालिका आरक्षित की गई हैं। इनमें सारंगपुर, सिवनी-मालवा, बेगमगंज, टीकमगढ़, नौगांव, पोरसा, अशोकनगर, डोंगर-परासिया, सीहोरा, कोतमा, पसान, सीधी, बड़नगर, गंजबासौदा, नरसिंहगढ़, सिहोर, पीथमपुर, बड़वाह, नरसिंहपुर, सेंधवा, गाडरवारा, अनूपपुर, आगर, शाजापुर, उमरिया, दमोह और खाचरोद.

सामान्य महिला के लिए आरक्षित – बैतूल, विदिशा, राजगढ़, पिपरिया, गढ़ाकोटा, पन्ना, खरगोन, बालाघाट, नैनपुर, धनपुरी, महिदपुर, शिवपुरी, बैरसिया, मुलताई, देवरी, दतिया, गुना, वारासिवनी, चौरई, सौसर, अमरवाड़ा, करेली, नीमच, अंबाह, मंडीदीप, शुजालपुर।

ओबीसी के लिए आरक्षित

ओबीसी (OBC) वर्ग  के लिए भी कई नगर पालिका आरक्षित की गई है. इसमें से सबलगढ़, धारा, आष्टा, रायसेन, सिरोंज, होशंगाबाद, छतरपुर, शहडोल, पन्ना, राधौगढ़, मंदसौर, जुन्नारदेव, मनावर, मैहर, सनावद, श्योपुर कलां, सिवनी, मंडला, ब्यावरा, रहली, पाढूंर्णा, इटारसी, जावरा और नेपानगर नगर पालिका ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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