भोपाल। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी का महासचिव नियुक्त कर उन्हें पश्चिम उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है। इससे पहले वह एमपी विधानसभा चुनाव के प्रचार समिति के अध्यक्ष बनाए गए थे। लेकिन अब उन्हें पार्टी ने नई जिम्मेदारी सौंपी है। इसलिए प्रदेश कांग्रेस को एक बार फिर इस पद के लिए नए चेहरे की तलाश है। लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया जाना है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2018 विधानसभा चुनावों के लिए न केवल राज्य कांग्रेस अभियान समिति के अध्यक्ष थे, बल्कि 2013 के विधानसभा चुनावों में भी इसी पद पर रहे। पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले, मुख्यमंत्री कमलनाथ को नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में भेजा गया था, जबकि सिंधिया को राज्य चुनाव अभियान समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
दिसंबर में आए नतीजों के बाद कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने सपा और बसपा के समर्थन से सरकार बनाई। कमलनाथ को मुख्यमंत्री घोषित किया गया। इसके बाद से सिंधिया के समर्थक उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा। लेकिन हाईकमान ने कमलनाथ को दोनों पद पर बने रहने के निर्देश दिए और सिंधिया समर्थक एक बार फिर खाली हाथ रहे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव तक पार्टी की कमान प्रदेश में कमलनाथ के हाथों में रहेगी। लेकिन बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है सिंधिया के जाने के बाद अब प्रदेश में प्रचार समिति की कमान किसके हाथों में आएगी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी को किसी वरिष्ठ नेता को इस पद पर नियुक्त करना होगा। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को पार्टी ने पहले से समन्वय समिति की जिम्मेदारी सौंप रखी है। वह लगातार कार्यकर्ताओं में जोश भरने और संगठन को मजबूत करने का काम करते रहेंगे। प्रतार समिति अध्यक्ष का पद बहुत अहम होता है और लोकसभा चुनाव के समय इस पद को खाली नहीं रखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले से दो जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ बैठक करेंगे और इस मामले पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि प्रचार समिति अध्यक्ष पद के लिए दिल्ली से फैसला किया जाएगा।