भोपाल। विधानसभा चुनाव के बाद हुए मंथन में अब पदाधिकारियों पर गाज गिर सकती है। जिन नेताओं ने नुकसान पहुंचाया उनके खिलाफ अब शिकायत पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ तक पहुंचना शुरू हो गईं हैं। चुनाव से पहले कांग्रेस ने जिन्हें जीत की जिम्मेदारी सौंपी थी वही उसके लिए विभीषण का काम कर रहे थे। विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर कांग्रेस को जीत की उम्मीद थी लेकिन उन सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, अब लोकसभा चुनाव में इस तरह की स्थिति न बने इसके लिए कांग्रेस ने कमर कसना शुरू करदी है।
दरअसल, पार्टी हारे हुए उम्मीदवारों के फीडबैक पर अब उनपर एक्शन लेने की तैयारी में है जिनकी वजह से विधानसभा चुनाव में जीती हुई सीटों पर भी पार्टी को हार सामना करना पड़ा। इन सीटों पर कोई और नहीं बल्की पार्टी के अपने ही पदाधिकारी जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। पीसीसी में 15 जिला अध्यक्षों की शिकायत की गई हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस बहुमत से सिर्फ दो सीट दूर रह गई। बताया जा रहा है कि शिकायतों में समन्वय समिति के सदस्य और पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष के साथ महिला कांग्रेस अध्यक्ष का नाम भी शामिल है।
इनके नाम शामिल
सूत्रों के मुताबिक जो शिकायतें मिली हैं उनमें विदिशा जिला अध्यक्ष शैलेंद्र रघुंशी, नीमच के चंद्र शेखर पालीवाल, पन्ना जिला अध्यक्ष दिव्या रानी सिंह, उज्जैन जिला अध्यक्ष महेश सोनी, खंडवा शहर अध्यक्ष ओंकार पटेल, धार जिला अध्यक्ष बालमुकुंद गौतम, होशंगाबाद जिला अध्यक्ष कपिल फौजदार, श्योपुर जिला अध्यक्ष बृजराज सिंह चौहान, उमरिया जिला अध्यक्ष राजेश शर्मा, हरदा जिला अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण पंवार, भिंड जिला अध्यक्ष जय श्री राम बघेल, शाजापुर जिला अध्यक्ष योगेंद्र सिंह और भोपाल शहर जिला अध्यक्ष कैलाश मिश्रा की शिकायतें कमलनाथ तक पहुंची हैं।